दरभंगा की बेटी बनी सीआइएसएफ की पहली महिला डीजी, 1989 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं नीना सिंह

मेधा की खान मिथिला की मिट्टी की नारी शक्ति के नाम एक और इतिहास दर्ज हो गया है. नीना सिंह दरभंगा जिले के बिरौल अनुमंडल क्षेत्र के घनश्यामपुर थाना के गनौन की रहनेवाली हैं. इस खबर से गांव सहित पूरे जिले में खुशी है. क्षेत्रवासी खुद को गौरवान्वित महसूस रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 29, 2023 10:46 PM

पटना. दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड के गनौन गांव निवासी नीना सिंह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) की पहली महिला डीजी बनी हैं. सीआइएसएफ की पहली महिला प्रमुख बन इतिहास रचनेवाली नीना सिंह को मणिपुर कैडर के अधिकारी के रूप में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में शामिल किया गया था. बाद में वो राजस्थान कैडर में चली गईं.

1989 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं नीना सिंह

वर्ष 1989 बैच की आईपीएस अधिकारी नीना सिंह इसी साल 31 अगस्त को शीलवर्धन सिंह की सेवानिवृत्ति के बाद से सीआईएसएफ महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाल रही हैं. कार्मिक मंत्रालय के एक आदेश में कहा गया है कि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 31 जुलाई, 2024 तक यानी सेवानिवृत्ति की तारीख तक, सीआईएसएफ के महानिदेशक के रूप में नीना सिंह की नियुक्ति को मंजूरी दी है.

गांव में खुशी का माहौल

मेधा की खान मिथिला की मिट्टी की नारी शक्ति के नाम एक और इतिहास दर्ज हो गया है. नीना सिंह दरभंगा जिले के बिरौल अनुमंडल क्षेत्र के घनश्यामपुर थाना के गनौन की रहनेवाली हैं. इस खबर से गांव सहित पूरे जिले में खुशी है. क्षेत्रवासी खुद को गौरवान्वित महसूस रहे हैं. सोशल मीडिया से लेकर अन्य माध्यम से लोग अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं.

इतिहास में पहली महिला डीजी

केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन अर्धसैनिक बलों में कई हार्डकोर आइबी अधिकारियों को नये प्रमुख के रूप में नियुक्त किया है. सबसे बड़ा बदलाव केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) में किया गया है. सीआइएसएफ के 54 साल के इतिहास में पहली बार महिला अधिकारी नीना सिंह को सीआइएसएफ की कमान सौंपी गयी है.

नीना 31 जुलाई 2024 में होंगी रिटार्यड

साल 1969 में गठित सीआइएसएफ की कमान अब तक पुरुष अधिकारी ही संभाल रहे थे. नीना सिंह 2021 में सीआइएसएफ से जुड़ी थीं. रिटायरमेंट से पहले उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गयी है. नीना 31 जुलाई 2024 में रिटार्यड होने वाली हैं. इससे ग्रामीणों में उत्साह है.

गांव में गुजरा है नीना का बचपन

गौड़ाबौराम व घनश्यामपुर प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्र गनौन निवासी स्व. गणेश लाल दास की पुत्री नीना दास का बचपन गांव में गुजरा. पिता प्रशासनिक अधिकारी के रूप में पूर्णिया में नियुक्त किये गये तो परिवार वहीं रहने लगा. बचपन की पढ़ाई भी पूर्णिया में हुई. उनकी चाची रेणु देवी बताती हैं कि सभी छह भाई-बहनों में सबसे बड़ी नीना बचपन से ही मेधावी थीं. आगे की पढ़ाई पटना में की. वहां सेवानिवृत्त होने के बाद उनके पिता ने अपना घर बना लिया. पटना के महिला कॉलेज से पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय व अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की.

Also Read: दरभंगा दिल्ली के बीच इन स्टेशनों पर रुकेगी अमृत भारत एक्सप्रेस, देना होगा इतना किराया

रिसर्च पेपर भी लिख चुकी हैं नीना

नीना सिंह नोबेल प्राइज विनर अभिजीत बनर्जी व एस्थर डुफ्लो के साथ दो रिसर्च पेपर भी लिख चुकी हैं. वे केंद्र सरकार में भी अपनी सेवा दे चुकी हैं. पटना से ही उनकी शादी उनके ही एक आइपीएस बैचमेट रोहित सिंह से हुई. ग्रामीण पंकज कुमार दास ने बताया कि चार साल पहले वह जब गांव आयी थी तो गांव पुलिस छावनी बन गयी थी. वहीं, विजय नंदन दास का कहना है कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से भारतीय प्रशासनिक सेवा के सर्वोच्च पद तक गांव की बेटी का सफर नयी पीढ़ी के लिए नजीर बन गया है.

Next Article

Exit mobile version