बिहार के दरभंगा में तालाब हुआ गायब, भू- माफिया पर कब्जा करके झोपड़ी बनाने का आरोप, जानिए डीएम का आदेश

Darbhanga Pond Stolen: बिहार के दरभंगा में तालाब को ही गायब कर दिया गया है. भू- माफिया पर जमीन को कब्जा करने का आरोप है. बताया जा रहा है कि भू- माफिया ने तालाब में मिट्टी डालकर झोपड़ी बना ली है.

By Sakshi Shiva | January 3, 2024 12:53 PM

Darbhanga Pond Stolen: बिहार के दरभंगा में अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है. यहां भू- माफियाओं पर तलाब की चोरी का आरोप है. ताजा मामला शहर के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के वार्ड संख्या चार स्थित नीम पोखर स्थित सरकारी करीब 36 डिस्मिल तालाब का है. आरोप है कि भू- माफिया ने रातों- रात चोरी छिपे तालाब को मिट्टी भरकर समतल बना दिया. इस जमीन पर अपना कब्जा जमाने के लिए वहां एक झोपड़ी तथा बांस की चारदीवारी भी बना दी गई हैं. लोगों का आरोप है कि प्रशासन की मिलीभगत से तालाब को भर दिया गया. वहीं, दरभंगा में तालाबों की संख्या की बात की जाए तो दरभंगा राज व पुराने रिकॉर्ड के अनुसार पूरे जिला में 9 हजार 1 सौ 13 तालाब थे. उसमें से सिर्फ दरभंगा शहर में सरकारी दस्तावेजों के अनुसार 350 से 400 तालाब थे. लेकिन, इसकी संख्या में कमी आई है. तालाबों पर कब्जा कर मिट्टी भरा गया है और वर्तमान में नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार तालाब की संख्या 100 से 125 तक सिमट कर रह गई है. इस अनुसार तकरीबन 200 तालाब को भर दिया गया है.


स्थानीय लोगों ने कही ये बात

इस मामले में स्थानीय सुनील कुमार ने बताया कि यहां सरकारी तालाब था. जिसमें मछुआरों के द्वारा मछली, पानी फल सिंघाड़ा होता था. जिसका टेंडर संबंधित विभाग से होता था. उन्होंने आगे बताया कि हम यहां पिछले 35 साल से रह रहे है. इसे एक सप्ताह के अंदर मिट्टी से दिया गया है. भू- माफिया के द्वारा रात में, दिन में हमेशा मिट्टी भड़ा जाता था. भरने के समय यहां भीड़ रहता था. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस दौरान पुलिस भी नहीं आती थी. स्थानीय सतो कुमार सहनी ने कहा कि आज से 10- 15 साल पहले मछुआ समिति के कुछ लोग इस तालाब में मछली पालन करते थे. लेकिन, बाद कोई कारण से पालन नहीं हुआ. जिसके चलते पोखर कचरा हो गया. पूरा पोखर दलदल हो गया. इसके बाद आदमी सब थोड़ा- थोड़ा भरना शुरू कर दिया. करीब 6 महीना पहले एक आदमी ने आधा कट्ठा जमीन को भर लिया. आज से 2 साल पहले भी जब काम हो रहा था, तब एक चाय पत्ती के व्यवसाई ने इस पोखर पर दावा ठोका था. उस समय विश्वविद्यालय की थाना यहां आई थी और कागज मांगा गया था. इसके बाद अगला आदमी वहां पेपर जमा किया, उसके बाद कोर्ट में मामला चल गया. कोर्ट से अगला पार्टी डिग्री लेकर बोल रहा है कि हमारा जमीन है. वही उन्होंने बताया कि मिट्टी भराई का काम आज से ठीक आठ नौ दिन पहले हुआ है.

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जिलाधिकारी ने सीओ को दिया आदेश

वहीं, दरभंगा जिलाधिकारी राजीव रौशन ने कहा कि इस संबध में अंचलाधिकारी से दूरभाष पर बातचीत में उनके द्वारा बताया गया कि पोखर से संबंधित मामला अपर उप समाहर्ता न्यायालय में चल रहा था. जमाबंदी रद्द करने के संबंध में वहां से परिवादी के संबंध में जो आदमी है, उनके पक्ष में निर्णय हुआ. उन्होंने कहा कि सदर अंचलाधिकारी को सुझाव दिया गया है कि इस मामले को शीघ्र मेरे न्यायालय में अपील दायर करें, और तत्काल स्थल पर कोई भी आदमी जब तक मामला लंबित रहता है. कोई भी उसको भरने या उसमे निर्माण की कोई गतिविधि नहीं करे. वहीं, उन्होंने कहा की जो भी हमारे सार्वजनिक तालाब पोखर है. वह जलजीवन हरियाली का हिस्सा है और जलजीवन हरियाली के अंतर्गत उसे अतिक्रमण मुक्त कराना है. जहां तक निजी पोखर या तालाब का है, तो स्वामित्व इसमें भी कई कोर्ट के आदेश है. उसके स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं करना है. इसके लिए जो हमारे रेवेन्यू के अधिकारी है. उनको इस चीज पर ध्यान देने की अवश्यकता है. जो हमारा जल निकाय है, उसका स्वरूप बदलने से हमारे पर्यावरण पर नकारात्मक असर पड़ता है. उन्होंने आगे बताया कि जमाबंदी रद्दी करण का बात अपर समाहर्ता के न्यायालय में था. उसमे क्या दस्तावेज दिखलाया गया है. परंतु जमावंदी रद्द करने के प्रस्ताव को खारिज किया गया है और जमाबंदी जारी रखने की बात की गई है. जिसपर मैने सीओ को आदेश दिया है की अगर अपर समाहर्ता का कोई आदेश है तो उसके विरुद्ध अपील मेरे न्यायालय में दाखिल कर सकते है.

(दरभंगा से सूरज की रिपोर्ट.)

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