जलवायु परिवर्तन से हो सकता है खाद्य संकट

दरभंगा : लनामिवि पीजी अर्थशास्त्र विभाग में सोमवार को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण विषयक संगोष्ठी आयोजित की गयी. उद‍्घाटन करते हुए पूर्व वीसी प्रो राजकिशोर झा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से देश में खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है. एक सेंटीग्रेड तापमान के बढ़ने से 4-5 करोड़ टन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2017 4:37 AM

दरभंगा : लनामिवि पीजी अर्थशास्त्र विभाग में सोमवार को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण विषयक संगोष्ठी आयोजित की गयी. उद‍्घाटन करते हुए पूर्व वीसी प्रो राजकिशोर झा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से देश में खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है. एक सेंटीग्रेड तापमान के बढ़ने से 4-5 करोड़ टन उत्पादन में कमी आती है. वहीं दो सेंटीग्रेड तापमान की वृद्धि से 0.75 टन प्रति हेक्टेयर धान की उपज कम हो जाती है.

उन्होंने कहा कि इसका असर दुग्ध उत्पादन भी भी पड़ता है. विभागाध्यक्ष डॉ रामभरत ठाकुर ने कहा कि मानव व जीव जंतु की सुरक्षा के लिए देशवासियों को पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण विकास योजनाओं का नुपालन करवाना चाहिए. इसी से जलवायु परिवर्तन पर रोक लग सकती है. डॉ विजय कुमार यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर मानव सहित 350 तरह के स्तनधारियों, पक्षियों, मछलियों पर भी पड़ता है. मौके पर चंदन ठाकुर, कौशल किशोर झा, अनामिका कुमारी, रवि रंजन, जितेंद्र कुमार, भारतेश्वर आदि ने विचार रखा.

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