..फूलों में बम भी मिलता है

दरभंगाः साहित्य सृजन की धरती के रूप में मशहूर मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभ्ांगा में हास्य-व्यंग्य की अमरबेल लतर गई. मैथिली संस्कृत व हिंदी के नामचीन साहित्यकारों की इस धरा पर देश के विभिन्न क्षेत्र से पहुंचे कवि व कवयित्रियों ने पुरानी परंपरा की याद ताजा कर दी. जीवन के विभिन्न पहलुओं से हास्य ढूंढ़कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2014 6:16 AM

दरभंगाः साहित्य सृजन की धरती के रूप में मशहूर मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभ्ांगा में हास्य-व्यंग्य की अमरबेल लतर गई. मैथिली संस्कृत व हिंदी के नामचीन साहित्यकारों की इस धरा पर देश के विभिन्न क्षेत्र से पहुंचे कवि व कवयित्रियों ने पुरानी परंपरा की याद ताजा कर दी. जीवन के विभिन्न पहलुओं से हास्य ढूंढ़कर उसे कविता की माला में पिरोकर जब कवियों ने प्रस्तुत करना शुरू किया तो दर्शक-श्रोता लोटपोट हो गये. वहीं विभिन्न भाव-भूमि की गजलों पर वाह-वाह कह उठे.

मुंबई से पहुंचे कवि दिनेश बावरा ने ‘क्या फर्क पड़ता है सेठजी, बेटी हो या बीमारी, फर्क इतना है कि बीमारी में बड़े लोग परहेज से मरते हैं और बेटी होने पर हम गरीब लोग दहेज से मरते हैं.’ के माध्यम से समाज का कुरूप चेहरा को सामने रखा तो संज्ञा तिवारी ठाकुर ने बदले माहौल को अपनी पंक्तियां ‘ कुछ उम्मीदों से कम निकलता है, जिस जगह ढूंढ़ गम निकलता है. कोई खतरा नहीं कांटों से, अब तो फूलों में बम निकलता है’ के द्वारा रखा तो दर्शक वाह-वाह कर उठे. तो ‘ममता को छोड़ वासना के स्पर्श पर आ गये, मर्यादित लोग ईलता के निष्कर्ष पर आ गये.

इतना गिरा दिया कविता के मोल को हमने, चार तालियों के लिए अर्श से फर्श पर आ गये’ के द्वारा वाहवाही लूटने के लिए हो रही फूहर कविताओं की रचना पर इंदौर से आये अतुल ज्वाला ने प्रहार किया. संचालन कर रहे शंकर कैमूरी ने श्रृंगारपरक रचना से युवाओं में उत्साह का संचार कर दिया. बिखरी जुल्फें हैं उमड़ते हुए बादल की तरह, तेरी आंखों में कोई चीज है काजल की तरह’ पर श्रेता झूम उठे. मध्य प्रदेश से प्रभात खबर के आयोजन में पहुंची डॉ प्रेरणा ठाकरे ने भाईचारे का संदेश देती कविता ‘ दीवाली की शुभकामनाएं देने, मुसलिम ईद की बधाई देने हिंदू भाईजान हैं, हिंदुओं ने खुद को खुदा के पास माना है, मन में मुसलमान के भी भगवान है’ प्रस्तुत की. इलाहाबाद के राधेश्याम भारती की रचनाओं ने भी खूब मजा दिया. आधी रात तक यह महफिल जमी रही.

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