बुद्धिजीवियों की नजर में राजनीतिक घटनाक्रम
झरोखे से झांक रहा सुनहरा बिहार : डॉ जीतेंद्र नारायण दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के वरीय प्राध्यापक व राजनीतिक चिंतक डॉ जितेंद्र नारायण ने बिहार में राजनीतिक बदलाव पर कहा कि पहले बेमेल गठबंधन था, जिसमें एक चेहरा सुशासन का तथा दूसरा जंगलराज का प्रतीक था. एक चेहरा […]
झरोखे से झांक रहा सुनहरा बिहार : डॉ जीतेंद्र नारायण
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के वरीय प्राध्यापक व राजनीतिक चिंतक डॉ जितेंद्र नारायण ने बिहार में राजनीतिक बदलाव पर कहा कि पहले बेमेल गठबंधन था, जिसमें एक चेहरा सुशासन का तथा दूसरा जंगलराज का प्रतीक था. एक चेहरा ईमानदारी व स्वच्छता में विश्वास करता था, जो लगातार कहता रहा कि कफन में जेब नहीं होता. वहीं दूसरा चेहरा भ्रष्टाचार का प्रतीक था, जिसने अल्यूमुनियम के बर्तन से कहानी शुरु की थी और करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली. एक बिहार की शांति व्यवस्था को प्राथमिकता दे रहा था, जबकि दूसरा अपराधियों के लिए बरगद का पेड़ बना था.
गंभीर अपराध में लिप्त लोगों को न केवल राजनीतिक संरक्षण दे रहा था, बल्कि जेल में रहने वाले अपराधी को पार्टी के संचालन मंडल का सदस्य बनाये हुए था. ऐसा बेमेल गठबंधन बिहार के विकास को रोके रखा था. इससे बिहार की कानून व्यवस्था बिगड़ती जा रही थी. ऐसी परिस्थिति में अपने चरित्र और चेहरा के अनुकूल और प्रदेश में विकास के लिए प्रतिबद्ध नीतीश कुमार ने अपनी भूल को स्वीकार करते हुए विकास को केंद्र में रखकर जो गठबंधन स्वीकार किया, उससे प्रदेश सहज रूप में विकास की ऊंचाइयों को पाने में सफल रहेगा. इतिहास के आइने एवं भविष्य के झरोखे से सुनहरे बिहार की भविष्य झलक रही है.