सर्द मौसम में ब्लोअर का बाजार भी गर्म

कपड़ों की दुकानों पर गरम कपड़ों की खरीदारी के लिए ग्राहकों की बढ़ी भीड़ दरभंगा : शीतलहर ने आमजन जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रखा है. मजबूरी होने पर ही लोग घर से बाहर निकलते हैं. वर्ना घर में ही कैद रहते हैं. कंपकंपाती ठंड में दिन भर सड़क पर सन्नाटा नजर आता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2018 4:48 AM

कपड़ों की दुकानों पर गरम कपड़ों की खरीदारी के लिए ग्राहकों की बढ़ी भीड़

दरभंगा : शीतलहर ने आमजन जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रखा है. मजबूरी होने पर ही लोग घर से बाहर निकलते हैं. वर्ना घर में ही कैद रहते हैं. कंपकंपाती ठंड में दिन भर सड़क पर सन्नाटा नजर आता है. इक्का-दुक्का लोग ही नजर आते हैं. हल्की धूप निकलने पर दोपहर बात बाजार में लोगों की चहल-पहल दिखती है. बर्फीली पछुआ हवा के कारण लोग अपने को गरम रखने की कोशिश में जुटे रहते हैं. इस कारण कपड़ों, इलेक्ट्रिक, अंडों व मांस-मछली की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ी है. लोग कपड़ों की दुकान में गरम कपड़ों की खरीदारी कर रहे हैं. स्वेटर, जैकेट, इनर गारमेंट, मौजे, दस्ताने आदि खरीद रहे हैं. इस संबंध में दरभंगा टावर के रेडिमेड दुकानदार अशोक कुमार बताते हैं कि ग्राहकों की संख्या में कमी आयी है. जो भी ग्राहक आते हैं, उनकी डिमांड गरम कपड़े ही होते हैं.
इलेक्ट्रिक दुकानों पर लग रही भीड़
इस कनकनी में लोगों को घर में भी चैन नहीं मिल रहा. गरम कपड़े भी कनकनी से निजात दिलाने में सक्षम नहीं हो रहे. लिहाजा हीटर व ब्लोअर की खरीदारी कर रहे हैं. लिहाजा इनकी बिक्री में इजाफा हो गया है. इन दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ी है. मिर्जापुर में सावंरिया इलेक्ट्रिक दुकान चलाने वाले श्याम कुमार शर्मा कहते हैं कि पिछले दस दिन पहले तक हीटर व ब्लोअर की मांग न के बराबर थी. जैसे-जैसे ठंड बढ़ी है, इसकी डिमांड में इजाफा हो गया है. नित्य छह से आठ हीटर-ब्लोअर बिक जा रहे हैं.
निर्माण पड़ा मंदा, रोज घर लौट रहे मजदूर
पेट की आग बुझाना हो रहा मुश्किल
काम की तलाश में रोजाना लंबी दूरी तय कर शहर के चौक-चौराहे पर समय व्यतीत करना पड़ता है, लेकिन अधिक ठंड के कारण काम नहीं मिलने से खाली हाथ घर लौटना पड़ रहा है. ऐसे कुछ दिन और ठंड पड़ी तो हम मजदूरों के लिये पेट की आग बुझाना मुश्किल हो जायेगा.
रामजतन यादव, धोई घाट
पहले बालू के कारण काम नहीं मिल पा रहा था. अब लगातार पछुआ हवा चलने से ठंड ने आफत डाल दिया है. घर से पांच किलोमीटर की दूरी तय कर दोनार चौक पर रोज काम की तलाश में आ रहे हैं. काम नहीं मिल पा रहा. अपनी भूख तो किसी तरह बर्दाश्त भी कर लें, लेकिन चार छोटे-छोटे बच्चे हैं उसका क्या करें. तीन माह में मात्र चार दिन ही काम मिला.
विजय यादव, धोई घाट
हमलोगों का जब भगवान हीं नहीं सुन रहे तो नीचे इंसान क्या सुनेंगे. सरकार ने पहले बालू पर पांबदी लगाकर पेट पर लात मार दिया. अब कड़ाके की ठंड ने रही-सही कसर पूरी कर दी है. रोजाना काम नहीं मिलने के कारण खाली हाथ घर जाने से बच्चे व परिवार मायूस हो जाते हैं. बाजार में निर्माण कार्य काफी मंदा हो गया है.
रामसोगारथ यादव, घोई
घर बगल में है, बावजूद काम के लिये रोजाना चौक पर पहुंचता हूं. काम है कि मिल ही नहीं रहा. बालू महंगा रहने से लोग खरीद नहीं रहे. जिन्होंने खरीदा भी वे ठंड के कारण काम नहीं करा रहे. बमुश्किल कुछ मजदूरों को एक दिन काम मिलता है तो एक दिन नहीं. पैसे के अभाव में स्थिति काफी बेहाल हो गयी है.
मोहन दास, दिलावरपुर

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