सजा साबित हो रहा परदेसियों का होली त्योहार पर घर आना
वापस काम पर लौटने के लिए कर रहे रतजगा लंबी दूरी की ट्रेनों में आरक्षण उपलब्ध नहीं दूसरे जिलों से भी पहुंच रहे जरूरतमंद दरभंगा : होली पर अपने गांव आना परदेसियों के लिये सजा साबित हो रही है. वापस काम पर लौटने के लिये आरक्षण नहीं मिल रहा. मजबूरन तत्काल आरक्षण के लिये रतजगा […]
वापस काम पर लौटने के लिए कर रहे रतजगा
लंबी दूरी की ट्रेनों में आरक्षण उपलब्ध नहीं
दूसरे जिलों से भी पहुंच रहे जरूरतमंद
दरभंगा : होली पर अपने गांव आना परदेसियों के लिये सजा साबित हो रही है. वापस काम पर लौटने के लिये आरक्षण नहीं मिल रहा. मजबूरन तत्काल आरक्षण के लिये रतजगा कर रहे हैं. दरभंगा जंक्शन के टिकट भवन के नीचे तत्काल टिकट के लिये बने स्थल पर जरूरतमंद यात्री कतार लगाये अगली सुबह का इंतजार करते रहते हैं. मालूम हो कि रंगों के त्योहार होली पर किसी तरह अपने घर पर्व मनाने के लिये परदेसी पूत आये. इससे गांव की सूनी पड़ी गलियां गुलजार हो गयीं. त्योहार समाप्त होने के बाद जब वापस लौटने के लिये टिकट की खिड़की पर पहुंच रहे हैं तो किसी भी ट्रेन में रिजर्वेशन उपलब्ध नहीं मिल रहा. लंबी दूरी की तमाम ट्रेनों में प्रतीक्षा सूची का बोर्ड लटका मिल रहा है.
उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र के प्राय: सभी परिवार के सदस्य किसी न किसी काम से परदेस में रहते हैं. कोई रोजी-रोटी के जुगाड़ में अपने गांव से दूर हैं तो कोई शिक्षा ग्रहण करने के लिये घर छोड़ पलायन के लिये विवश है. होली पर सभी अपने घर आते हैं. इस बार भी घर आये. इस क्षेत्र से महानगर के लिये जाने के लिये रेल ही एक मात्र साधन है. वैसे बस की सेवा भी शुरू हो चुकी है, लेकिन भाड़ा अधिक होने तथा उसमें भी सीट खाली नहीं रहने की वजह से लोगों के लिये ट्रेन ही साधन बचा है.
दूसरे जिलों से भी पहुंच रहे यात्री : रविवार की रात इस कतार में दर्जनो यात्री खड़े थे. इसमें कई दूसरे जिले से तत्काल आरक्षण के लिये पहुंचे थे. मधुबनी जिला के फुलपरास थाना क्षेत्र के जगतपुर निवासी कृपानंद कामत ने बताया कि यहां अपेक्षाकृत आरक्षण मिलने की अधिक संभावना रहती है. इसलिये यहीं पर प्रयास कर रहे हैं. वहीं समस्तीपुर जिला की सीमावर्ती क्षेत्र बहेड़ी से आये राकेश कुमार ने कहा कि दो दिनों से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन टिकट नहीं निकल पाता, वहीं बहेड़ा वार्ड नंबर छह निवासी मुकेश कुमार दिल्ली के लिये आरक्षण के लिये रतजगा करते मिले. यही हाल अधिकांश यात्रियों की है.
लंबी दूरी की ट्रेनों में आरक्षण उपलब्ध नहीं : यहां से खुलने तथा इस क्षेत्र से गुजरनेवाली किसी भी लंबी दूरी की ट्रेन में आरक्षण उपलब्ध नहीं है. मुंबई जानेवाली पवन एक्सप्रेस में 18 मार्च के बाद आरक्षण मिल रहा है. वहीं नई दिल्ली जानेवाली स्वतंत्रता सेनानी में 20 मार्च से आरक्षण खाली है. गरीब रथ में वेटिंग का बोर्ड लटका हुआ है. सबसे बुरा हाल बिहार संपर्क क्रांति का है. इस ट्रेन में तो इस माह में रिजर्वेशन है ही नहीं.
24 घंटे तक कतार में खड़े रहना विवशता
तत्काल टिकट के लिये यात्रियों को 24 घंटे तक कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है. मालूम हो कि आरपीएफ ने इसके लिये अलग से व्यवस्था कर रखा है. इसके तहत कतार में खड़े लोगों की सूची बनायी जाती है. इस सूची का आरपीएफ बल कई बार सत्यापन भी करता है. इसके बाद सुबह करीब नौ बजे निर्धारित अधिकारी सूची के अनुसार कतार में खड़े यात्रियों के मांग पत्र पर काउंटर संख्या व क्रम संख्या अंकित करते हैं. तत्काल टिकट के समय इसी के अनुसार आरक्षण टिकट बनाया जाता है. इसमें आगे रहने के लिये अगले दिन के लिये सुबह नौ बजे से ही लोग कतार में खड़े हो जाते हैं. तीखी धूप में दिन गुजारने के बाद पूरी रात जाग कर बीताना पड़ता है.
कई दिन करना पड़ता रतजगा: आरक्षण टिकट पर दवाब बढ़ने का असर तत्काल टिकट पर भी पड़ रहा है. इसका लिंक आने के बाद बमुश्किल एक से दो मांग पत्र पर ही रिजर्वेशन बन पाता है. वह भी तब जब मांग पत्र पर कम यात्रियों के नाम हों. इस वजह से कतार में पीछे खड़े यात्रियों को कई दिनों तक इसके लिये रतजगा करनी पड़ती है.