महिलाओं को आगे बढ़ाने में समाज और सरकार को करना होगा प्रयास

प्रभात परिचर्चा बिहार में आधी आबादी को बिना सुरक्षित और अवसर प्रदान किये विकास की बात नहीं की जा सकती. प्रभात खबर की ओर से आयोजित परिचर्चा में समाज के हर तबके की महिलाओं ने इस मुद्दे पर खुल अपनी राय दी. दरभंगा : किसी भी समाज की प्रगति एकांगी नहीं हो सकती. विकास में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2018 4:19 AM

प्रभात परिचर्चा

बिहार में आधी आबादी को बिना सुरक्षित और अवसर प्रदान किये विकास की बात नहीं की जा सकती. प्रभात खबर की ओर से आयोजित परिचर्चा में समाज के हर तबके की महिलाओं ने इस मुद्दे पर खुल अपनी राय दी.
दरभंगा : किसी भी समाज की प्रगति एकांगी नहीं हो सकती. विकास में समग्रता का नजरिया आवश्यक है. इस दृष्टि से प्रदेश की उन्नति में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है. यह सही है कि मौजूदा वक्त में माहौल बदला है. महिलाओं को तरजीह मिल रही है. विशेषकर सरकारी स्तर पर कई ऐतिहासिक फैसले लिये गये हैं. पूर्ण शराब बंदी से सबसे अधिक राहत में महिलायें खुद को महसूस कर रही हैं. बाल विवाह व दहेज उन्मूलन अभियान की सफलता से महिलाओं की स्थिति में ही सुधार हो रहा है,
बावजूद महिलाओं की भूमिका पूर्ण रूप से सभी क्षेत्रों में होना अभी भी बांकी है. इस दिशा में सरकार से लेकर समाज व परिवार तक को समवेत प्रयास करना होगा. ये बातें बिहार दिवस के उपलक्ष्य में प्रभात खबर की ओर से आयोजित परिचर्चा में सोमवार को महिलाओं ने कही. समाज के विभिन्न क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं ने इसमें अपने विचार रखते हुए सामाजिक सोच में बदलाव की अपेक्षा जताते हुए कहा कि सिर्फ सरकार के भरोसे बदलाव नहीं लाया जा सकता है. इसके लिये परिवार के वातावरण में, उनके नजरिये में परिवर्त्तन जरूरी है. पेज 06
बिहार में सुधरी है महिलाओं की स्थिति
बिहार में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है. नारी शिक्षा का स्तर उंचा हुआ है. लड़कियों का रूझान शिक्षा की ओर बढ़ा है. यह नारी सशक्तिकरण की ओर बढ़ते ठोस कमद का उदाहरण है. वैसे अपने क्षेत्र में महिलाओं की स्थति पहले पहले से ही अच्छी रही है.
– डॉ पुतुल सिंह
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की है जरूरत
आमतौर पर यह धारण बना ली गयी है कि जो महिला शिक्षित हैं वे सशक्त हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है. शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी अधिकांश नारी वर्त्तमान में भी परावलंबी जीवन जीने के लिये विवश हो जाती हैं. जरूरी है कि उन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम किया जाये.
– गजाला उर्फी

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