माता दुर्गा को अर्पित करने के लिए निकाल ली अपनी आंख, जानें पूरा मामला

बाहर लटक गयी आंख डीएमसीएच में भर्ती बहेड़ी (दरभंगा) : एक किशोरी की भक्ति देख श्रद्धालुओं की आंखें फटी-की-फटी रह गयीं. बहेड़ी के सिरुआ गांव के अरुण सिंह की पुत्री कोमल कुमारी (16) ने अंधविश्वास में माता के चरणों में अर्पण करने के लिए खुद की आंख निकाल ली. अपनी अंगुली से उसने बायीं आंख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2018 7:53 AM

बाहर लटक गयी आंख डीएमसीएच में भर्ती

बहेड़ी (दरभंगा) : एक किशोरी की भक्ति देख श्रद्धालुओं की आंखें फटी-की-फटी रह गयीं. बहेड़ी के सिरुआ गांव के अरुण सिंह की पुत्री कोमल कुमारी (16) ने अंधविश्वास में माता के चरणों में अर्पण करने के लिए खुद की आंख निकाल ली. अपनी अंगुली से उसने बायीं आंख निकाल ली. जब तक धर्मसार दुर्गा मंदिर में मौजूद अन्य श्रद्धालुओं की नजर पड़ती, उसकी आंख बाहर लटक चुकी थी. चेहरा लहूलुहान हो गया था. आनन-फानन में उसे अस्पताल लेकर गये. हालांकि इस अवस्था में भी किशोरी माता को अपनी आंख अर्पित करने की जिद करती रही.

मंदिर के पुजारी से कही थी अपनी आंख चढ़ाने की बात
चैती नवरात्र पर धर्मसार में हो रही माता की पूजा को लेकर शनिवार को बेल तोड़ी के लिए कलश शोभायात्रा निकाली गयी थी. इसमें कोमल भी शामिल थी. वह अन्य कुंवारी कन्याओं के साथ कलश लेकर मंदिर पहुंची. वहां माता का पट खोलने से पूर्व परंपरानुरूप चक्षु दान के लिए पूजा-अर्चना हो रही थी. इसी बीच कोमल ने माता को खुद की आंख चढ़ाने की बात मंदिर के पुजारी से कही. पुजारी ने इसे मजाक समझ अनसुना कर दिया. इस दौरान वह सिर झुकाये खड़ी रही.

आंख की करायी गयी जांच

मंदिर में मौजूद लोगों ने उसके परिजनों को सूचना दी. उसे डीएमसीएच में भर्ती कराया गया. उसकी आंख की जांच की जा रही है. डॉक्टरों ने कई जांच करवायी है. रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगी. जानकार बताते हैं कि बायीं आंख की रोशनी चली जाने का खतरा है. ग्रामीणों के अनुसार कोमल माता दुर्गा की अनन्य भक्त है. घर में भी उसका अधिकांश वक्त पूजा-अर्चना में ही बीतता है. इससे पूर्व वह शुक्रवार को भी कलशयात्रा में शामिल थी. उसके बाद उसने मंदिर में पहुंच कर माता के नाम से गुप्त दान दिया था. उसने एक छोटी-सी पोटरी मंदिर के पुजारी को दी थी, जिसे पुजारी ने दानपात्र में डाल दिया था. बताया जाता है कि उसमें 21 सौ रुपये के साथ माता की चांदी की एक मूर्ति भी थी. कोमल की इस ‘भक्ति’ की चर्चा पूरे क्षेत्र में है.

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