बिहार : दरभंगा के अहल्यास्थान में रामनवमी मेले में उमड़ी भीड़, श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

दरभंगा (कमतौल) : बिहार के दरभंगा में धार्मिक तीर्थस्थल अहल्यास्थान में माह भर चलने वाले रामनवमी मेला सवाब पर है. देश के कोने-कोने और पड़ोसी देश नेपाल से श्रद्धालु पहुंच कर पवित्र कुुंड में स्नान कर मंदिरों में पूजा-अर्चना कर रहे हैं. प्रभु श्री राम का जन्मोत्सव होने से हजारों की संख्या में रविवार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2018 2:09 PM

दरभंगा (कमतौल) : बिहार के दरभंगा में धार्मिक तीर्थस्थल अहल्यास्थान में माह भर चलने वाले रामनवमी मेला सवाब पर है. देश के कोने-कोने और पड़ोसी देश नेपाल से श्रद्धालु पहुंच कर पवित्र कुुंड में स्नान कर मंदिरों में पूजा-अर्चना कर रहे हैं. प्रभु श्री राम का जन्मोत्सव होने से हजारों की संख्या में रविवार को श्रद्धालु अहल्यास्थान पहुंचे और दर्शन-पूजन कर मेले का आनंद लेने में मशगूल रहे.

रविवार की अहले सुबह से ही पैदल, दो-तीन और चार पहिया के अलावे ट्रेक्टर जैसे वाहनों से रामनवमी के अवसर पर अहल्यास्थान आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी, जो देर रात तक जारी रहा. दोपहर होते-होते मेला में तिल रखने की जगह नहीं बची. आने-जाने वाली सड़कों पर रह-रह कर जाम की स्थिति रही. मेले में भीड़ का दबाव बढ़ने के कारण वृद्ध और कई महिला श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन में असुविधा भी हुई. परंतु पुलिस और स्वयंसेवक ने स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रित कर शांतिपूर्ण ढंग से दर्शन कराने का क्रम जारी रखा. मंदिरों से लेकर पूरे मेला क्षेत्र में बड़ी तादाद में पुलिस के जवानों की तैनाती की गयी है. जहां थानाध्यक्ष कुंदन कुमार पुलिस बल के साथ गश्त लगाते नजर आये.

मनाया गया प्राकट्योत्सव, वातावरण भक्तिमय
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच रामजानकी मंदिर और सिया-पिया निवास में दोपहर 12 बजे प्रभु श्रीराम का प्राकट्योत्सव मनाया गया. पट खुलते ही श्रद्धालुओं द्वारा ‘श्रीराम तुम्हारे चरणों में हम शीश नवाने आये हैं’ के जयकारे से वातावरण गूंजने लगा. वेद मंत्रोच्चार, शंख ध्वनि और घंटे की आवाज से माहौल राममय नजर आने लगा. इसके लिए मंदिर प्रबंधन और प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे.

रिश्तेदारों के मिलन का गवाह बना अहल्यास्थान
मेले के अवसर पर अहल्यास्थान की धरती दर्जनों श्रद्धालुओं के चिर परिचित नाते-रिश्तेदारों से मिलन का गवाह बना. कहीं मां-बेटी एक दूसरे के गले लगकर रोती नजर आयी, तो कई युवा और युवतियों की टोली हंसी-ठिठोली में मशगूल नजर आये. वे मेला से सटे आसपास के बगीचे, खेत-खलिहान और सड़कों के किनारे बैठकर बातचीत कर रहे थे.

Next Article

Exit mobile version