दरभंगा : राजद की संविधान बचाओ न्याय यात्रा के तीसरे चरण की शनिवार को यहां शुरुआत हुई. राज मैदान में आयोजित सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नहीं पहुंच सके. उन्होंने मोबाइल के जरिये सभा को संबोधित किया. कहा कि भाजपा तथा नीतीश कुमार जान चुके हैं कि वे लोग दुबारा सत्ता में नहीं लौट सकते, इसलिए साजिश के तहत पूरे परिवार को घेर रहे हैं. वे नहीं चाहते कि हम समाज की आवाज को उठाएं. मेरे पिता लालू प्रसाद के साथ ही मां, भाई, बहन, बहनोई यहां तक कि ससुराल पक्ष के लोगों को भी फंसाने का षड्यंत्र हो रहा है.
जल्द ही दरभंगा आने का आश्वासन देते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि डबल इंजन वाली सरकार को तेज गति से विकास करना चाहिए था, लेकिन ये लोग लालू को फंसाकर रखना चाहते हैं. विकास पर कोई ध्यान नहीं है. भाजपा सत्ता में इसलिए आयी ताकि वे आरक्षण को समाप्त कर सके. जनसमूह से एकजुटता का आह्वान करते हुए कहा कि इनके मंसूबों को किसी भी सूरत में पूरा नहीं होने देंगे.
जिलाध्यक्ष राम नरेश यादव की अध्यक्षता में आयोजित सभा में उन्होंने कहा कि संविधान में छेड़छाड़ की साजिश चल रही है. आरक्षण समाप्त करने पर केंद्र व राज्य की सरकार आमादा है. इन्हें गरीब से कोई मतलब नहीं. ये गरीबी को नहीं, बल्कि गरीबों को हटाना चाहते हैं. सरकारी एजेंसियों को बीजेपी का करार देते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि सीबीआइ, इडी, इनकम टैक्स सहित तमाम एजेंसी उनके परिवार के पीछे पड़ी हैं. लेकिन, हम गीदर भभकी से नहीं डरेंगे. मनुवादी सोच वाली सांप्रदायिक शक्ति जो गरीबों को समाप्त करना चाहती है, उनका सपना बिहार की जनता साकार नहीं होने देगी. लालू प्रसाद की ही तरह हम भी बीजेपी से कभी भी समझौता नहीं करेंगे. गरीब समाज, दलित, अकलियत के हित में अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहेंगे.
आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने की अपील करते हुएतेजस्वी यादवने कहा कि पूरे देश में आक्रोश है. इस आक्रोश का इजहार लाठी-डंडे से नहीं, बल्कि इवीएम पर लालटेन का बटन दबाकर करना है. प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने लालू प्रसाद को सामाजिक न्याय का महान नेता करार देते हुए कहा कि उनके कारण ही सामाजिक संत्रास में डूबे दलित, पिछड़ों को सम्मान मिला. यह मनुवादी सोच वालों को हजम नहीं हो रहा. लालू एक विचारधारा है. जेल में बंद कर इस विचार को कैद नहीं किया जा सकता. तेजस्वी लालू के विचार पुत्र हैं. उनके विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. बिहार की जनता ने इन्हें स्वीकार किया है.
रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि भारत का संविधान समाज के सभी वर्गों के लिए है, लेकिन आरएसएस व भाजपा को यह हजम नहीं हो रहा. संविधान के खिलाफ पहला बयान आरएसएस के तत्कालीन प्रमुख गोलबरकर का 30 नवंबर 1949 को आया था. वर्तमान प्रमुख मोहन भागवत भी आरक्षण हटाने की वकालत कर रहे हैं. मौके पर पूर्व कबीना मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, पूर्व सांसद सीताराम यादव, मंगनी लाल मंडल, विधायक भोला यादव, फराज फातमी, ललित यादव आदि ने भी संबोधित किया. मो. अली अशरफ फातमी भी बीच-बीच में संचालन कर रहे थे.