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दरभंगा : नियोजित शिक्षकों के समान काम का समान वेतन मामला का पटाक्षेप आगामी 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही होगा, किंतु वर्तमान में प्रदेश के 52 हजार नियमित शिक्षकों को अन्य विभागों में समायोजित करने की चर्चा शिक्षा समाज में जोर-शोर से चल रही है. चर्चा का आधार शिक्षकों के […]
दरभंगा : नियोजित शिक्षकों के समान काम का समान वेतन मामला का पटाक्षेप आगामी 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही होगा, किंतु वर्तमान में प्रदेश के 52 हजार नियमित शिक्षकों को अन्य विभागों में समायोजित करने की चर्चा शिक्षा समाज में जोर-शोर से चल रही है. चर्चा का आधार शिक्षकों के स्थानांतरण एवं प्रोन्नति नियमावली, 2017 की कंडिका 14 तथा निदेशालय स्तर पर इस मामले को लेकर विभिन्न राउंड की बैठकों को बनाया जा रहा है.
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को अपने-अपने तरीके से शिक्षक प्रस्तुत कर रहे हैं. नियमावली की कंडिका 14 को व्याख्या कर वरीय शिक्षकों को उच्च पदों पर प्रशासनिक अथवा शैक्षणिक कार्यों के लिए अपने ही वेतन में प्रतिनियुक्त करने का उल्लेख किया है. शिक्षकों में भी विभिन्न पदों पर नियमित शिक्षकों को समायोजित करने की चर्चा है. सरकार प्रदेश के 3.30 लाख नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने से बचने के लिए इन शिक्षकों को अन्यत्र कार्य में लगाकर रास्ता निकाल सकती है, किंतु दूसरी ओर जानकारों की मानें, तो यह कार्य इतना आसान भी नहीं है. इसमें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के साथ ही शिक्षकों की योग्यता भी आड़े आ सकती है. जिला प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार झा का कहना है कि यह केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित है. डाइट के प्राचार्य डॉ सुभाष चंद्र झा भी स्वीकार करते हैं कि किसी भी शिक्षक को अन्यत्र समायोजित करने के लिए आधार की जरूरत होगी. उनका कहना था कि प्रशिक्षण महाविद्यालयों में व्याख्याताओं की कमी को दूर करने के लिए एमएड योग्यताधारी शिक्षकों की सेवा ली गई. इसी प्रकार नियमित शिक्षकों में भी भिन्न-भिन्न योग्यता वाले शिक्षकों को समायोजित करने के लिए ठोस आधार होना आवश्यक है. हालांकि, उन्होंने समान वेतन देने के मामले में सरकार का कोई भी मध्यमार्गी रास्ता निकाले जाने से इंकार नहीं करते हैं. डाइट के व्याख्याता डॉ शब्बीर अहमद की मानें, तो इस तरह से निदेशालय स्तर पर किसी भी गतिविधि का होने से इनकार करते हैं, किंतु कई विभागीय अधिकारियों में इस तरह की चर्चा की भी बात करते हैं. बहरहाल मामला जो भी हो किंतु इस मामले की चर्चा का आधार प्रोन्नति एवं स्थानांतरण नियमावली, 2017 तथा निदेशालय स्तर पर इस तरह की किसी भी कार्रवाई किए जाने के आसार कम नजर आ रहे हैं. ये कहती है नियमावली 2017 की कंडिका 14
प्रारंभिक विद्यालयों में प्रोन्नति एवं स्थानांतरण नियमावली 2017 की कंडिका 14 में सीनियर शिक्षकों को उच्च पदों पर प्रशासनिक अथवा शैक्षिक सेवा लिए जाने पर उनके इस पद के वेतन का दावा स्वीकार नहीं किए जाने की बात का उल्लेख है. यह कंडिका स्नातक एवं मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान में पदस्थापित सीनियर शिक्षकों के लिए है, जिनकी सेवा प्रधानाध्यापक पद पर लिए जाने के संदर्भ में दिया गया है. उल्लेखनीय है कि मध्य एवं उच्च विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का पद शैक्षिक के साथ-साथ प्रशासनिक भी होता है.
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