आक्रोशित लोगों ने जेसीबी फूंकी, ट्रेन रोकी
हायाघाट, दरभंगाः अकराहा में निर्माणाधीन पुल का गाटर गिरने से लापता मजदूरों का दूसरे दिन भी पता नहीं चल सका. एनडीआरएफ की टीम भी पानी व जलकुंभी के कारण कुछ पता नहीं लगा सकी. इससे स्थानीय लोगों का सब्र जवाब दे गया. गुस्साये लोगों ने दरभंगा समस्तीपुर रेलखंड को जाम कर दिया. इस वजह से […]
हायाघाट, दरभंगाः अकराहा में निर्माणाधीन पुल का गाटर गिरने से लापता मजदूरों का दूसरे दिन भी पता नहीं चल सका. एनडीआरएफ की टीम भी पानी व जलकुंभी के कारण कुछ पता नहीं लगा सकी. इससे स्थानीय लोगों का सब्र जवाब दे गया. गुस्साये लोगों ने दरभंगा समस्तीपुर रेलखंड को जाम कर दिया. इस वजह से दो घंटे तक ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा. इसके बाद एक जेसीबी व ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया. चार मजदूरों के लापता होने की पुष्टि हुई है, जबकि प्रशासन को आशंका है, लापता मजदूरों की संख्या आधा दर्जन से ज्यादा हो सकती है. समय बढ़ने के साथ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
अकराहा पुल निर्माण के दौरान गाटर नदी में गिरने से लापता मजदूरों की तलाश के लिए दूसरे दिन गुरुवार की सुबह बिहटा, पटना से एसडीआरएफ की 25 सदस्यीय टीम हायाघाट पहुंची. यूं तो टीम सुबह छह बजे हायाघाट पहुंच गयी, लेकिन ट्रैक्टर की व्यवस्था में समय लग जाने की वजह से सुबह 8.30 बजे मोटरवोट के साथ नदी में एसडीआरएफ के सदस्य उतर सके. मलबा के ऊपर जलकुंभी जमा रहने से पहले उसे साफ करने में जुट गये. इसमें अकराहा उत्तरी के मुखिया रघुनाथ सहनी के साथ दर्जनों ग्रामीण सहयोग कर रहे थे.
कुंभी अधिक रहने तथा सुबह 10 बजे के बाद पानी के बहाव के साथ कुंभी व दूसरा मलबा पश्चिम की ओर से जमा होने लगा. इससे परेशानी हुई.
इस बीच दोपहर एक बजे एसडीआरएफ के सदस्य मोटरवोट बंद कर बगल में चले गये. बचाव कार्य रुका हुआ, देख ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. अकराहा पुल के पश्चिम स्थित रेलवे पुल संख्या 17 को जाम कर दिया. चौकी, रेलवे का स्लीपर, स्लैब, गाटर आदि रखकर सैंकड़ों लोग पटरी पर बैठ गये. इस बीच दानापुर-जयनगर इंटरसिटी एक्सप्रेस समस्तीपुर की ओर से हायाघाट स्टेशन पहुंची. परिचालन से जुड़े कर्मियों ने सिगAल दे दिया. गाड़ी खुल गयी. चालक विष्णुदेव प्रसाद यादव ने सूझ-बूझ का परिचय देते हुए जाम ट्रैक से करीब 200 मीटर पहले गाड़ी खड़ी कर दी. इंस्पेक्टर फुलेंद्र प्रसाद ने तत्काल इसकी सूचना समस्तीपुर को दी. वहां से पहुंचे आरपीएफ के वरीय अधिकारी की पहल के बाद अपराहृन 3.25 बजे ट्रेनों का परिचालन आरंभ हो सका. इस बीच सैंकड़ों यात्री पैदल ही रेलवे ट्रैक के सहारे थलवारा की ओर चल पड़े.
दूसरी ओर काम रुका देख उग्र लोगों ने जेसीबी में आग लगा दी. बगल में लगे दो ट्रैक्टर व एक जेनेरेटर भी इसकी चपेट में आ गये. इतने बड़े हादसे के बावजूद प्रशासन ने अगिAशमन दस्ता को वहां तैनात करना जरूरी नहीं समझा. यही वजह रही कि धू-धू कर गाड़ियां जलती रही. प्रशासन तमाशबीन बना रहा. करीब सवा तीन बजे अगिAशामक वाहन घटनास्थल पर पहुंचा.
इधर, घटना की सूचना मिलते ही पश्चिम चंपारण(बेतिया) के श्यामपुर मझौलिया से मजदूरों के करीब दर्जन भर परिजन नदी किनारे पहुंचे. इस बीच हादसे के शिकार कई मजदूर भी वहां पहुंचे. उन्हें सलामत पाकर परिजनों ने राहत की सांस ली. हालांकि इसी गांव के भागू महतो के 19 वर्षीय पुत्र दीपक कुमार का पता नहीं चल सका है. उसकी मां रंभा देवी, चाची शिवव्रती देवी, चाचा शंभु महतो व चचेरा भाई सुरेश महतो का रोते-रोते बुरा हाल है.
घायल सोने लाल पासवान, शोभन पासवान, धर्मेद्र यादव, रंजीत साह, राम पुकार महतो, अजय यादव, राजू राम, राजेश्वर यादव आदि गुरुवार की सुबह वहां पहुंचे. जख्मी मजदूरों ने बताया कि साइट इंचार्ज के भय से वे लोग भाग गये थे. घटना के दिन इंचार्ज प्रभाकर कुमार ने पिस्टल का भय दिखाते हुए हर हाल में बुधवार को ढलाई पूरा कर लेने को कहा था. गाटर पश्चिम की ओर झुकने की बात जब मजदूरों ने उसे बतायी तो भी वह सुनने को तैयार नहीं हुआ. नतीजतन इतनी बड़ी घटना हो गयी. घटना के समय प्रभाकर वहां मौजूद था. पुल के दूसरे हिस्से में काम कर रहे मजदूरों को भाग जाने व इस घटना के बाबत किसी को भी नहीं बताने की भी धमकी दी.
इस घटना को लेकर सुबह से पुलिस बल के साथ प्रशासनिक अधिकारी मुस्तैद रहे. सदर अनुमंडल अधिकारी कारी प्रसाद महतो, एसडीपीओ जयराम शर्मा, बिरौल एसडीपीओ राजकुमार कर्ण, बेनीपुर एसडीपीओ दिलीप कुमार झा, महिला थानाध्यक्ष सीमा कुमारी, हायाघाट थानाध्यक्ष रासीद परवेज, बहादुरपुर थानाध्यक्ष डीएन मंडल, लहेरियासराय, विश्वविद्यालय, पतोरओपी, एपीएम थाना के थानाध्यक्ष सदल-बल तैनात थे. लोगों के आक्रोश को देखकर जिला से दो वैन अतिरिक्त पुलिस बल भी मंगवाया गया. एडीएम दिनेश कुमार भी वहां पहुंचे और बचाव कार्य का जायजा लिया. शाम में ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए उनकी मांग के अनुरूप किरान भेजा गया. समाचार भेजे जाने तक मलबा हटाने का कार्य चल रहा था.