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दरभंगा : अलीनगर में किसानों ने बांध दी कमला नदी की धार
एमए सारिम सूख रही धान की फसल बचाने के लिए ग्रामीणों का भगीरथ प्रयास अलीनगर (दरभंगा) : मौसम की बेरुखी से निराश प्राय: किसान जहां अपनी किस्मत को कोस रहे हैं, व्यवस्था की ओर सहयोग के लिए टकटकी लगाये बैठे हैं, वहीं अलीनगर के किसानों ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए कमला नदी […]
एमए सारिम
सूख रही धान की फसल बचाने के लिए ग्रामीणों का भगीरथ प्रयास
अलीनगर (दरभंगा) : मौसम की बेरुखी से निराश प्राय: किसान जहां अपनी किस्मत को कोस रहे हैं, व्यवस्था की ओर सहयोग के लिए टकटकी लगाये बैठे हैं, वहीं अलीनगर के किसानों ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए कमला नदी की धारा को ही बांध दिया है.
खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए उत्तर बिहार की प्रमुख नदियों में शुमार कमला नदी को बघेला में बांध इसकी धारा को खेतों की ओर मोड़ने में किसान जुटे हैं. सरकार व प्रशासन को दोष देने के बदले आपसी सहयोग से राशि इकट्ठा कर दिन-रात इस काम में लगे हैं. इनका भगीरथ प्रयास मूर्तरूप लेने लगा है.
बहुत जल्द बिन बारिश के सूख रही फसल को पानी मिलने के आसार हैं. बघेला, मिर्जापुर व धमसाइन गांव के किसान आपसी सहयोग से ट्रैक्टर से मिट्टी भर रहे हैं. मजदूरों को भी इसमें लगाया गया है. बड़ी संख्या में ग्रामीण श्रमदान भी कर रहे हैं.
समाज के सभी वर्गों का सहयोग : बघेला के मो. अकबर, राधे मुखिया, धमसाइन के मोतीउर्रहमान, चन्द्रमोहन मिश्र, कनूसी यादव, मो. ज्याउल आदि श्रमदान कर रहे हैं. इसके अलावा ट्रैक्टर, जेसीबी के साथ मजदूर इसमें काम कर रहे हैं. महताब आलम, मो. फहीम, बदरे आलम मुन्ना, सत्येन्द्र यादव, बाबू साहेब झा, मो. आजाद के अलावा कई गणमान्य मुख्य रूप से नेतृत्व कर रहे हैं. इसमें समाज के सभी वर्ग का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है.
बघेला में बांध बनाने में दिन-रात जुटे हैं ग्रामीण
ढाई लाख खर्च का अनुमान
ग्रामीणों का कहना है कि इसमें ढाई लाख रुपये व्यय होने का अनुमान है. राशि आपसी सहयोग से इकट्ठा की जा रही है. सभी अपनी क्षमता के अनुरूप सहयोग कर रहे हैं. सबसे सुखद पहलू यह है कि किसानी से दूर होता युवा वर्ग मिथक को तोड़ते हुए क्षेत्र के नौजवान भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.
हजार एकड़ खेत के पटवन का प्रयास
किसानों का मानना है कि ऐसा कर वे लोग 800 से 1000 एकड़ जमीन का पटवन करने में सफल होंगे. उल्लेखनीय है कि इस निर्माणाधीन बांध से करीब सौ मीटर दूर पश्चिम दिशा में इसी नदी पर 16.95 करोड़ की लागत से सिंचाई विभाग की ओर से एक बीयर भी निर्माणाधीन है. इसके तैयार हो जाने से कई गांवों की हजारों एकड़ की फसल का पटवन संभव हो सकेगा.
फिलवक्त अनावृष्टि की वजह से ग्रामीणों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था. इसलिए बांध बनाने का फैसला लिया. निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. फिलहाल इस बांध के निकट नदी में पानी नहीं के बराबर है. ग्रामीण बताते हैं कि बघेला बांध के तैयार होने पर जब गड़ौल कुम्हरौल का बांध काटा जायेगा, तो उससे पटवन सहज रूप में संभव हो सकेगा.
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