लक्ष्य के कुशल मार्गदर्शन से गढ़ रहे सफलता का प्रतिमान

दरभंगा : दारोगा के फाइनल परीक्षा में बंगाली टोला स्थित लक्ष्य सिविल सेवा संस्था के प्रतिभागियों ने शानदार कामयाबी हासिल की है. इससे संस्थान सहित प्रतिभागियों के गांव में खुशी छलक रही है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार 50 से अधिक प्रतिभागियों ने सफलता हासिल कर जिला ही नहीं पूरे प्रदेश का नाम रोशन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2019 1:34 AM

दरभंगा : दारोगा के फाइनल परीक्षा में बंगाली टोला स्थित लक्ष्य सिविल सेवा संस्था के प्रतिभागियों ने शानदार कामयाबी हासिल की है. इससे संस्थान सहित प्रतिभागियों के गांव में खुशी छलक रही है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार 50 से अधिक प्रतिभागियों ने सफलता हासिल कर जिला ही नहीं पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. इन प्रतिभागियों ने सफलता का श्रेय संस्था के गुरुजन के मार्गदर्शन को दिया है. साथ ही सफलता के सहभागी बने माता-पिता, भाई-बहन एवं मित्रों को दिया है.

बता दें कि अधिकांश प्रतिभागियों की पृष्ठभूमि ग्रामीण और निम्न आय वर्ग की है. इसमें अधिकांश चौकीदार, आशा, दैनिक मजदूर सरीखे वर्ग से आने वाले परिवारों के हैं. कई ऐसे भी प्रतिभागी इसमें शामिल हैं, जिनके गांव में एक भी ग्रामीण सरकारी कर्मचारी पद तक नहीं पहुंच पा सके हैं.

दरोगा पद के अंतिम परीक्षा में सफल होने वाले प्रतिभागी संजय कुमार मंडल विशनपुर थाना क्षेत्र के डीहलाही निवासी किसान जगन्नाथ मंडल के पुत्र हैं. बजरंगी कुमार दास बहादुरपुर उघरा पनसीहा निवासी दैनिक मजदूर राज कुमार दास के पुत्र हैं. राजीव कुमार यादव कमतौल थाना क्षेत्र के पिंडारूच निवासी किसान राम नारायण यादव के बेटे हैं. रमण राउत अलीनगर थाना क्षेत्र के हरियठ निवासी लाल राउत एवं आशा कार्यकर्ता माता उमा देवी के पुत्र हैं.

चुन्नू पासवान बहादुरपुर थाना क्षेत्र के उघरा वसतपुर दैनिक मजदूर विशेश्वर पासवान के पुत्र हैं. संजय पासवान बहेड़ी थाना क्षेत्र के धर्म शायर टोल सिरुआ निवासी चौकीदार उमेदी पासवान के पुत्र हैं.इनके अलावा संजय पासवान, मनोज कुमार, मुन्नी कुमारी, स्वाति कुमारी, राहुल कुमार पासवान भी ऐसे क्षेत्र से आते हैं जहां आज भी पूरी तरह शिक्षा की रोशनी नहीं पहुंच पाई है, परंतु लक्ष्य पाने की ललक ने यह साबित कर दिया कि कोई भी काम मुश्किल नहीं है.

दूसरी तरफ लक्ष्य संस्था ने अपने नाम के अनुसार कम संसाधन के बावजूद अब तक कई प्रतिभागियों को लक्ष्य तक पहुंचा है. निदेशक आलोक नाथ झा ने छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना की है. मेंटर पीएन झा ने महिलाओं एवं कमजोर वर्गों की उपलब्धि को सामाजिक बदलाव का संकेत बताया है.

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