दरभंगा : पिछड़ों को विकास की मुख्यधारा में लाना जरूरी

लनामिवि में छात्र-छात्राओं से राज्यपाल फागू चाैहान ने कहा दरभंगा : कुलाधिपति सह राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि बिहार का अतीत समृद्ध रहा है. नालंदा और विक्रमशिला इसके प्रमाण हैं. हमें इस विरासत को आगे बढ़ाना है. वे मंगलवार को ललित नारायण मिथिला वििव (लनामिवि) के डॉ नागेंद्र झा स्टेडियम में आयोजित 10वें दीक्षांत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2019 8:12 AM

लनामिवि में छात्र-छात्राओं से राज्यपाल फागू चाैहान ने कहा

दरभंगा : कुलाधिपति सह राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि बिहार का अतीत समृद्ध रहा है. नालंदा और विक्रमशिला इसके प्रमाण हैं. हमें इस विरासत को आगे बढ़ाना है.

वे मंगलवार को ललित नारायण मिथिला वििव (लनामिवि) के डॉ नागेंद्र झा स्टेडियम में आयोजित 10वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. कुलाधिपति ने कहा कि नैक से मूल्यांकन एवं शैक्षिक कैलेंडर का समय से पालन प्रसन्नता का विषय है.

पीजी स्तर पर सीबीसीएस लागू होना भी उपलब्धि है. रोजगार के लिए नये-नये विषयों में अध्ययन सुखद है. उन्होंने कहा कि आज का युग विज्ञान का युग है. शिक्षा केवल नौकरी की जरूरतों को ही पूरी नहीं करती, बल्कि इससे मनुष्य में संवेदनशीलता और नैतिकता का विकास भी होता है. समाज के सभी वंचित, दलित और पिछड़े वर्ग को विकास की मुख्य धारा में लाना आवश्यक है.

विश्वविद्यालय हरा भरा करने का लें संकल्प

कुलाधिपति ने कहा कि पर्यावरण संतुलन बिगड़ गया है. चारों तरफ प्रदूषण है. वृक्षों की कटाई इसका मुख्य कारण है. हमारा संकल्प है कि विश्वविद्यालय परिसर हरा-भरा हो. विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में शिक्षा व स्वच्छता का कार्यक्रम केवल किताबी ज्ञान तक ठीक नहीं है. गांधी जयंती के 150वें वर्ष में हमें शिक्षित और स्वच्छ भारत के निर्माण का दृढ़ संकल्प लेना चाहिए.

कश्मीर मामले में निर्णय आतंक को करारा जवाब

कुलाधिपति ने कहा कि हमें सुदृढ़ एवं सशक्त भारत बनाना है. इसके लिए देश की एकता और अखंडता अत्यंत महत्वपूर्ण है. कहा कि पूरे विश्व में आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है.

कश्मीर पर साहसिक और राष्ट्रीय एकता को मजबूती प्रदान करने वाले आवश्यक निर्णय लेकर हमने उसका करारा जवाब दिया है. शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य चरित्र निर्माण है. कुलाधिपति ने कहा कि आज देश की सीमाएं टूट रही हैं. संचार माध्यमों में क्रांति आयी है. पठन-पाठन की तकनीकी और रोजगार का स्वरूप बदल रहा है.

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