दरभंगा : भारत को फिर से जगद्गुरु बनाने के लिए संस्कृत का विकास जरूरी
संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति हुए शामिल दरभंगा : कुलाधिपति व राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि संस्कृत विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है. ज्ञान विज्ञान के संपूर्ण विषय संस्कृत साहित्य में सुरक्षित है. भारत को फिर से जगद्गुरु के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने के लिए संस्कृत का विकास जरूरी है. कुलाधिपति गुरुवार को […]
संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति हुए शामिल
दरभंगा : कुलाधिपति व राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि संस्कृत विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है. ज्ञान विज्ञान के संपूर्ण विषय संस्कृत साहित्य में सुरक्षित है. भारत को फिर से जगद्गुरु के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने के लिए संस्कृत का विकास जरूरी है.
कुलाधिपति गुरुवार को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे़ उन्होंने कहा कि संस्कृत की समृद्धि के लिए उसकी बहुमूल्य पांडुलिपियों का संरक्षण एवं डिजिटलाइजेशन जरूरी है. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के लोगों को अपने परिवार के सदस्य की भांति समझने का ज्ञान वसुधैव कुटुम्बकम हमें संस्कृत ही सिखाती है.
भूमंडलीकरण के दौर में विश्वग्राम की परिकल्पना के मूल में भारतीय चिंतन और दर्शन की परम्परा ही है, जो संस्कृत से पुष्पित व पल्लवित होती है. कुलाधिपति ने कहा कि चरित्र-शिक्षा, शांति, सद्भाव एवं विश्वबन्धुत्व का पाठ संस्कृत साहित्य से ही सीखने को मिला है. वेदों, उपनिषदों, दर्शनों, पुराणों एवं धर्मशास्त्रों ने जीवन यापन का ऐसा आदर्श मार्ग स्थापित किया है, जिस पर चलकर मानवता का व्यापक कल्याण किया जा सकता है.
कुलाधिपति ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता और सफलता, आर्यभट्ट द्वारा शून्य की खोज, अणु-परमाणु की परिकल्पना, शल्य चिकित्सा के जनक के रूप में सुश्रुत की प्रसिद्धि, संस्कृत की महान परंपरा एवं विरासत का परिचय देती है. कुलाधिपति ने संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्थापक महाराजाधिराज डॉ कामेश्वर सिंह के प्रति भी श्रद्धा निवेदन किया. कहा कि उपाधि ग्रहण करने वाले छत्रों के लिए आज का दिन उनके जीवन का स्वर्णिम अवसर है, क्योंकि आज उन्हें अपनी साधना व परिश्रम का मधुर फल प्राप्त हुआ है.