अपराध में संलिप्त मिले एक साल में 283 किशोर

बाल अपराध : जिले में खतरनाक रू प से बढ़ रही बाल अपराधियों की संख्या दरभंगा : जिस उम्र में आमतौर पर बच्चे कंप्यूटर गेम की ओर आकर्षित रहते हैं. क्रिकेट सरीखे खेल के प्रति उनमें दीवानगी रहती है, उस उम्र में कुछ किशोरों के कदम आपराधिक वारदातों की खतरनाक डगर की ओर बढ़ रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2015 7:55 AM
बाल अपराध : जिले में खतरनाक रू प से बढ़ रही बाल अपराधियों की संख्या
दरभंगा : जिस उम्र में आमतौर पर बच्चे कंप्यूटर गेम की ओर आकर्षित रहते हैं. क्रिकेट सरीखे खेल के प्रति उनमें दीवानगी रहती है, उस उम्र में कुछ किशोरों के कदम आपराधिक वारदातों की खतरनाक डगर की ओर बढ़ रहे हैं. हत्या, लूट, राहजनी, दुष्कर्म सरीखे संगीन अपराधों की ओर किशोर प्रवृत हो रहे हैं.
इसमें लगातार इजाफा हो रहा है. साल दर साल इसमें इजाफा हो रहा है. इससे शांतिप्रिय स्वभाव के मिथिलावासी खासे चिंतित हैं. वहीं प्रशासन के लिए भी यह परेशानी का सबब बनाता जा रहा है. सूचना तंत्र का गलत इस्तेमाल, मानसिकता में आ रहे बदलाव व पारिवारिक नैतिक शिक्षा से बढ़ रही दूरी के कारण बच्चे इस ओर मुखातिब हो रहे है.
बना चिंता का सबब
जिला में आपराधिक वारदातों को अंजाम देने में नाबालिगों की संलिप्तता बढ़ती ही जा रही है. लूट-पाट, चोरी, छिनतई, डकैती, हत्या, दुष्कर्म सरीखे घटनाओं को अंजाम देनेवालों में इनकी सहभागिता सामने आ रही है. आये दिन इस तरह की खबर सुर्खियों में रहती है. पुलिस सूत्रों के अनुसार तो कई मामलों में इनके गैंग के होने का प्रमाण मिला है.इससे जिलावासी सकते में हैं. ट्रेन में डाका डालने में भी इस वय के बच्चों के हाथ रहते हैं.
एक साल में आये 283 मामले
पिछले साल 2014 में 283 मामलों में किशोरों के संलिप्त होने का मामला सामने आये. प्रमंडलीय बाल सुधार गृह के आंकड़ों के अनुसार दरभंगा के अलावा समस्तीपुर व मधुबनी के 283 बच्चों को विधि विरुद्ध गतिविधियों में पकड़ा गया.
इन सभी को सही रास्ता पर लाने के लिए बाल सुधार गृह में रखा गया. इसमें कई किशोर संगीन मामलों में भी संलिप्त बताये जाते हैं. आंकड़ों के मुताबिक प्रतिमाह औसतन 24 विधि विरुद्ध मामलों में इनकी संलिप्तता में उजागर हो रही है.
बच्चों को बरगलाते हैं अपराधी
पुलिस सूत्रों के अनुसार आपराधिक तत्व के लोग बच्चों को बरगलाने में लगे हैं. अपरिपक्व मानसिकता के बच्चों को सब्जबाग दिखा, बहला-फुसला कर शीशे में उतार लेते हैं. अपने लाभ के लिए बच्चों का इस्तेमाल करते हैं. एक बार भूलवश इस रास्ते पर आ जाने के बाद इस दलदल में धंसते चले जाने का खतरा बढ़ जाता है.
सही रास्ते पर लाने की कवायद
ऐसे बच्चों को सही रास्ते पर लाने व समाज के प्रति उत्तरदायित्व का भाव जगाने के लिए प्रशासनिक से लेकर निजी संगठन के स्तर से प्रयास चल रहे हैं. आये दिन उनके बीच दैनिक गतिविधियों के अलावा विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. हाल ही में मां श्यामा मंदिर न्यास समिति की ओर से इन बच्चों के बीच पाठ्य सामग्री वितरण किया गया.
वहीं उन्हें टेक्निकल प्रशिक्षण दिये जाने का भी प्रबंध किया गया है. आध्यात्मिक संस्थाएं भी इस दिशा में पहल कर रही हैं.

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