कैंपस… आइटी के दौर में भी प्रासंगिक हैं पुस्तकें : डॉ कुशवाहा

बिहार हस्तशिल्प उत्सव सह पुस्तक मेला का कुलपति ने किया उद्घाटन फोटो संख्या- 05परिचय-पुस्तक मेला का उद्घाटन करते कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा व अन्य. दरभंगा. सूचना तकनीक के इस युग में भी पुस्तकों की प्रासंगिकता व उपादेयता बरकरार है. पुस्तकें हमें आधा अधूरा नहीं बल्कि पूरा ज्ञान देते हैं. स्थानीय राज मैदान में गुरुवार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2015 8:03 PM

बिहार हस्तशिल्प उत्सव सह पुस्तक मेला का कुलपति ने किया उद्घाटन फोटो संख्या- 05परिचय-पुस्तक मेला का उद्घाटन करते कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा व अन्य. दरभंगा. सूचना तकनीक के इस युग में भी पुस्तकों की प्रासंगिकता व उपादेयता बरकरार है. पुस्तकें हमें आधा अधूरा नहीं बल्कि पूरा ज्ञान देते हैं. स्थानीय राज मैदान में गुरुवार को बिहार हस्तशिल्प उत्सव सह पुस्तक मेला के उद्घाटन के अवसर पर लनामिवि के कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा ने यह बात कही. उन्होंने मेले में ऐतिहासिक एवं महापुरुषों के जीवन से जुड़ी किताबों एवं कई प्रकार के हस्तशिल्प उपलब्ध होने पर खुशी जाहिर की. लोक सेवा केंद्र, चाईबासा के सौजन्य से आयोजित मेला के संयोजक भीष्म नारायण सिंह ने बताया कि मेला में लगे स्टॉलों पर नयी दिल्ली से पुस्तक महल, राजकमतल, गोरखपुर से गीता प्रेस आदि के स्टॉलों में कई ज्ञानबर्धक पुस्तकें मिल रही हैं. इस मेले में लोगों के लिए कई घरेलू उपयोग की वस्तुओं का स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र है. इनमें बनारसी सिल्क, गुजराती सूट व चादर, खादी ग्रामोद्योग के वस्त्र एवं आयुर्वेदिक दवादयां, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, भदोई का कालीन, हरियाणा का चादर व पर्दे, घरेलू आटा चक्की, हाथ की सिलाई मशीन, एक्यूप्रेशर एवं फेंगशुई, सहारनपुर के हस्तशिल्प, राजस्थानी मोजड़ी आदि विशेष आकर्षण का केंद्र बने हैं. मौके पर धर्मेंद्र चौधरी, अरूण कुमार, आरए ठाकुर आदि भी उपस्थित रहे.

Next Article

Exit mobile version