विवि थाना सालाना 11 रुपये भी नहीं दे सका किराया

दरभंगा : करोड़ों की संपत्ति से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को आज तक एक कौड़ी की भी आमदनी नहीं हो सकी है. विवि प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के बीच हुए 25 साल के एकरारनामा की अवधि भी मार्च 2011 में ही समाप्त हो गयी. बावजूद इसके आज तक विवि को एकरारनामा में तय किराया का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 1:43 PM
दरभंगा : करोड़ों की संपत्ति से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को आज तक एक कौड़ी की भी आमदनी नहीं हो सकी है. विवि प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के बीच हुए 25 साल के एकरारनामा की अवधि भी मार्च 2011 में ही समाप्त हो गयी.
बावजूद इसके आज तक विवि को एकरारनामा में तय किराया का भुगतान नहीं हो सका. मामला ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय एवं विश्वविद्यालय थाना के बीच का है. जानकारी के अनुसार 1981 में सरकारी आश पर विवि के विधि व्यवस्था का निबटारा के लिए विवि थाना का गठन किया गया था.
इसी कड़ी में 1984 में पुलिस प्रशासन से थाना के लिए भूमि संबंधी पत्र विवि प्रशासन को प्राप्त हुआ. पत्र के आलोक में विवि स्तर से थाना के लिए वर्तमान अगिAशमन कार्यालय के पीछे भूमि दिये जाने का निर्णय हुआ. इसके तहत थाना के लिए 9 कट्ठा 3 धूर व 17 धुर भूमि निर्धारित की गयी. 14 मार्च 1986 को विश्वविद्यालय प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के बीच एकरारनामा किया गया.
एकरारनामा के अनुसार विवि की ओर से 25 वर्ष के लीज पर 11 रुपये वार्षिक किराया तय करते हुए यह भूमि थाना निर्माण के लिए दी गयी. एकरारनामा के बाद थाना के स्थल को लेकर विवि के शिक्षक-कर्मियों के विरोध होने पर तत्कालीन कुलसचिव ने तत्कालीन एसपी को इसकी जानकारी दी. इसके बाद 24 जुलाई 1986 को विवि की ओर से थाना निर्माण के लिए वर्तमान स्थल को चिह्न्ति करते हुए पुलिस प्रशासन को इसकी सूचना दी गयी. इसके बाद ही विवि के मुख्य गेट के समीप मुख्य सड़क के बायी ओर स्थित तिकोना भूखंड में उतनी ही भूमि दी गयी. यहां आज भी थाना का भवन कायम है. विवि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में तय से अधिक भूमि पर थाना का कब्जा कायम है.
इस बीच कुछ वर्ष पूर्व मॉडल थाना का निर्माण शुरू होने पर विवि प्रशासन ने निर्माण पर रोक लगायी थी. बहरहाल, विवि प्रशासन व पुलिस प्रशासन के बीच एकरारनामा की अवधि समाप्त हो चुकी है. थाना अपनी जगह कायम है, पर विवि को आज तक करोड़ों की इस संपत्ति से एक रुपये की भी आमदनी नहीं हो सकी.

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