एक करोड़ लोगों के कौशल विकास का लक्ष्य : दुलालचंद
दरभंगा : केवल कृषि से बिहार का विकास संभव नहीं हो सकता. इसके लिए सहायक कृषि, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास को बढ़ावा देना होगा. राज्य सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है. लहेरियासराय सैदनगर विश्वकर्मा मंदिर के निकट दरभ्ांगा आइटीआइ संस्थान के उद्घाटन के अवसर पर बिहार के श्रम संसाधन मंत्री दुलालचंद गोस्वामी […]
दरभंगा : केवल कृषि से बिहार का विकास संभव नहीं हो सकता. इसके लिए सहायक कृषि, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास को बढ़ावा देना होगा. राज्य सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है. लहेरियासराय सैदनगर विश्वकर्मा मंदिर के निकट दरभ्ांगा आइटीआइ संस्थान के उद्घाटन के अवसर पर बिहार के श्रम संसाधन मंत्री दुलालचंद गोस्वामी ने यह बातें कही. उन्होंने कहा कि कृषि की उपेक्षा कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता.
इसके लिए कृषि का जितना विकास कर सके अच्छा है. पर कृषि पर जनसंख्या का बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं कृषि भूमि लगातार कम हो रही है. उत्तर बिहार को जहां हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका ङोलनी पड़ रही है वहीं दक्षिण बिहार के लिए सुखाड़ एक समस्या बनती जा रही है. ऐसे में जरूरी है कि कृषि पर जनसंख्या के बोझ को कम किया जाये. इसके लिए पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास आदि को बढ़ावा दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पारंपरिक शिक्षा ज्ञान जरूर दे सकती है पर वर्तमान दौर में रोजगार के लिए यह शिक्षा पूरी तरह सक्षम नहीं दिख रहा. वहीं उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या भी बहुत कम है. ऐसे में आइटीआइ जैसे औद्योगिक शिक्षण संस्थाओं का महत्व बढ़ रहा है.
आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार के बच्चे जो उच्च तकनीकी शिक्षा नहीं ले पाते उनके लिए यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में बिहार में कुल 65 सरकारी आइटीआइ संस्थान हैं, जिनमें कुल 22 हजार 5 सौ सीट है. उन्होंने इन संस्थान में में कम नामांकन पर दुख व्यक्त करते हुए बताया कि 40 से 45 प्रशित तक सीट रिक्त रह जाते हैं. इसके अलावा 12 निजी आइटीआइ भी चल रहे हैं.
उन्होंने अगले 5 वर्षो में एक करोड़ लोगों का कौशल विकास के लख्य पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए कौशल विकास केंद्रों की संख्या बढ़ाने की दिशा में सरकार कार्य कर रही है. साथ ही सूबे के आइटीआइ संस्थानों को वेब पोर्टल से जोड़ने की योजना पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में बाल श्रम किसी भी रूप में बरदाश्त नहीं किया जायेगा. केंद्र सरकार पर चोट करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार लगभग 67 प्रतिशत राशि खर्च कर चुकी है. भारत सरकार बतावें कि अबतक कितना प्रतिशत राशि खर्च की गयी है. उन्होंने आइटीआइ के कुछ ट्रेडों में परिवर्तन पर भी बल दिया. मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व रक्षा वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा ने कहा कि भारत के विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिले. उन्होंने कहा कि 90 के दशक में देश के जीएनपी में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान लगभग 40 प्रतिशत था जो धीरे-धीरे कम होता गया. वर्तमान में इसका योगदान 15-20 प्रतिशत रह गया है. जिस दर से बेरोजगारी बढ़ रही है, अर्थव्यवस्था उसे नियंत्रित नहीं कर पा रही. विनिर्मण क्षेत्र के ह्रास को रोके बिना रोजगार उत्पन्न नहीं किये जा सकते. इसके लिए कौशल विकास आवश्यक है. उन्होंने विकास के लिए अधिक से अधिक कौशल विकास एवं कार्य संस्कृति में व्यापक बदलाव को आवश्यक बताया. उन्होंने संस्थान के उद्घाटन पर खुशी व्यक्त करते हुए अपनी शुभकामनाएं दीं. इससे पूर्व मंत्री श्री गोस्वामी ने शिलापट्ट का अनावरण कर संस्थान का उद्घाटन किया. इसके उपरांत अतिथियों ने वर्कशॉप का अवलोकन किया. इसके उपरांत अतिथियों ने वर्कशॉप का अवलोकन किया. इसके बाद दीप प्रज्वलन कर समारोह की शुरूआत की गयी. इस अवसर पर संस्थान के निदेशक देवेंद्र कुमार झा ने अतिथियों का पाग-चादर से सम्मान करते हुए स्वागत भाषण दिया.
कल्पना चौधरी ने मिथिला पेंटिंग जबकि संस्थान की ओर से मंत्री को मोमेंटो प्रदान किया गया. राम बुझावन यादव रमाकर की संचालन में माउंट समर कॉन्वेंट स्कूल के छात्र-छात्रओं ने इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया. समारोह में अनिल पंकज, देवकांत झा, प्रो काशीनाथ झा, कैलाश गिरी, राघवेंद्र कुमार सहित कई संस्थानों के निदेशक, प्राचार्य, शिक्षक सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.