आज ही के दिन महारानी बनी थीं सीता
दरभंगा : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का महत्व यूं तो पूरे देश में है. इस तिथि से नये संवत्सर की शुरुआत होती है. वासंती नवरात्र का शुभारंभ होता है. मिथिला में इस तिथि का विशेष महत्व है. लोग इस तिथि को सबसे पवित्र मानते हैं. कारण इसी दिन मिथिला की सांस्कृतिक परिचय में शुमार जगत जननी […]
दरभंगा : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का महत्व यूं तो पूरे देश में है. इस तिथि से नये संवत्सर की शुरुआत होती है. वासंती नवरात्र का शुभारंभ होता है. मिथिला में इस तिथि का विशेष महत्व है. लोग इस तिथि को सबसे पवित्र मानते हैं. कारण इसी दिन मिथिला की सांस्कृतिक परिचय में शुमार जगत जननी महारानी बनी थी. पतिव्र्रता धर्म की अनूठी मिसाल पेश कर वनवास भोगने के बाद राज सुख ग्रहण किया था. भगवान राम के राज्याभिषेक के साथ ही मां जानकी महारानी बन गयी थी. मिथिला क्षेत्र में इसी दिन से जानकी नवमी पर होने वाली भगवती की आराधना की तैयारी विधिवत शुरू हो जाती है.
मिथिला पुत्री भगवती जानकी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक मान बिंदु हैं. अकाल की स्थिति में मिथिलेश के द्वारा यज्ञ के पश्चात हल जोतने के दौरान वर्त्तमान सीतामढ़ी के पुनौरा में भगवती का प्राकट्य हुआ था. इसके बाद उनका विवाह अयोध्या के महाराज भगवान श्री राम के साथ हुआ. इसके बाद वे विदा होकर अपने ससुराल चली गयी. इनका विवाह अग्रहण मास की शुक्ल पंचमी तिथि को हुआ था.