ये करते हैं मिश्रित खेती का अभिनव प्रयोग

नवादा कार्यालय: कहते हैं जब साहस और सोच का संगम हो, तो उसका कोई विकल्प नहीं होता. इसी मूलमंत्र को अपनाने वाले नवादा जिले के फरहा गांव के किसान राजेंद्र प्रसाद और सोनमंती देवी मिश्रित खेती के प्रयोग से सफलता के नये आयाम स्थापित कर रहे हैं. विषम परिस्थितियों से हार न मानने की जिद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2015 11:47 AM

नवादा कार्यालय: कहते हैं जब साहस और सोच का संगम हो, तो उसका कोई विकल्प नहीं होता. इसी मूलमंत्र को अपनाने वाले नवादा जिले के फरहा गांव के किसान राजेंद्र प्रसाद और सोनमंती देवी मिश्रित खेती के प्रयोग से सफलता के नये आयाम स्थापित कर रहे हैं. विषम परिस्थितियों से हार न मानने की जिद व अलग-अलग फसलों की खेती करने के प्रयोग से राजेंद्र प्रसाद व सोनमंती देवी अपने गांव-जवार में किसानों के लिए प्रेरणास्नेत बने हैं.

पूरा परिवार खेती पर निर्भर

विरासत में मिली खेती के कारण राजेंद्र प्रसाद को पढ़ाई में मन नहीं लगा और बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ कर कृषि कार्य से जुड़ गये. छह पुत्रों के पिता राजेंद्र प्रसाद का पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर है. 1968 से उन्होंने खेती करना शुरू किया. अपनी अदम्य इच्छाशक्ति के बल पर खेती में अपने जिले में एक अलग पहचान बनायी. इनके पदचिह्नें पर चलते हुए इनके पुत्र रितेश रंजन भी पटना में वन विभाग की नौकरी छोड़ खेती से जुड़ गये हैं.

मिश्रित खेती को अपनाया

राजेंद्र प्रसाद कृषि में मिश्रित फसल की खेती के लिए जाने जाते हैं. मिश्रित फसलों की खेती की वजह से जिले में उन्होंने एक अलग पहचान बनायी है. वह मिश्रित फसलों में केला, टमाटर, बैंगन, मिर्च, बोड़ा व कद्दू आदि की खेती करते हैं. लगभग पौने तीन एकड़ में मिक्सड खेती का अभिनव प्रयोग किया है.

खेती के लिए लागत

विभिन्न फसलों की खेती करने के लिए वह पूरी तरह सरकारी अनुदान पर निर्भर हैं. सरकार की तरफ से उन्हें केले की खेती के लिए दो किस्तों में अनुदान दिया गया है. उन्हें पहली किस्त में सात हजार रुपये व दूसरी में 6500 रुपये मिले हैं. इसके अलावा उन्होंने अपने पास से केले की खेती पर 10 हजार रुपये खर्च किये हैं.

खेती का तरीका

वर्तमान में खेती का बढ़िया तरीका श्रीविधि है. उन्होंने अपनी सभी फसलों की खेती भी श्रीविधि से की है, खास कर केला, बैंगन, कद्दू आदि की. सिंचाई बिजली संचालित मोटर पंप के माध्यम से करते हैं.

पॉली हाउस से भी खेती

राजेंद्र प्रसाद ने कृषि कार्य में एक नये सोच के साथ पॉली हाउस का निर्माण किया है. यह पॉली हाउस 1000 वर्ग मीटर में फैला है. उन्होंने बताया कि पॉली हाउस द्वारा इस समय किसी भी फसल की खेती की जा सकती है. पॉली हाउस के निर्माण में लागत का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें करीब 10 लाख रुपये खर्च हुए हैं. इनमें 90 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में सरकार देती है और 10 प्रतिशत किसान वहन करते हैं.

औरों के लिए प्रेरणादायी

आज गांव के लोग शहर की चकाचौंध भरी जिंदगी को जीने के प्रयास को गति दे रहे हैं, वहीं राजेंद्र प्रसाद शहर की चकाचौंध से दूर अपनी मिश्रित खेती में नये प्रयोग से कृषि में मिसाल कायम कर रह हैं.

अच्छी कृषि के लिए सम्मान

राजेंद्र प्रसाद को बेहतर खेती के लिए बिहार सरकार सम्मानित करने जा रही है. पटना के कृषि वैज्ञानिक व सरकार के कृषि सचिव इनके कार्यो का निरीक्षण कर चुके हैं.

युवाओं को संदेश

युवाओं को संदेश देते हुए राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि आजकल लोग कृषि क्षेत्र में शारीरिक श्रम नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि शारीरिक श्रम और खेती की नयी विधि से इस क्षेत्र में दोगुना मुनाफा कमाया जा सकता है. नया मुकाम भी हासिल किया जा सकता है.

गांव के लिए गौरव

फरहा निवासी संजय सिंह ने राजेंद्र प्रसाद की खेती के तरीकों की सराहना करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में उपलब्धिपरक कार्य कर श्री प्रसाद ने दूसरों को भी राह दिखायी है. यह गांव के लिए गौरव की बात है.

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