मोक्ष का प्रधान साधन है धर्म : सोमेश्वर

दरभंगा . धर्म मोक्ष का प्रधान साधन है. श्रीमद् देवी भागवत की कथा कहते हुए प्रो. डॉ सोमेश्वर नाथ झा दधीचि ने गंज चौक दोनार दरभंगा में नवें दिन की कथा में कही. धर्म का विस्तार से व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि पुरुषार्थ चतुष्टय को प्राप्ति में धर्म को प्रधान माना गया है. अर्थ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2015 7:03 PM

दरभंगा . धर्म मोक्ष का प्रधान साधन है. श्रीमद् देवी भागवत की कथा कहते हुए प्रो. डॉ सोमेश्वर नाथ झा दधीचि ने गंज चौक दोनार दरभंगा में नवें दिन की कथा में कही. धर्म का विस्तार से व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि पुरुषार्थ चतुष्टय को प्राप्ति में धर्म को प्रधान माना गया है. अर्थ एवं काम की सिद्धी धर्म से होती है. धर्म को विजय का प्रेरक माना गया है. सभी श्रेय-प्रेय का आधार और सुख का मूल स्वीकार करते हैं. लोकरक्षक, प्रेरक, आचार-शिक्षक तथा एहिक पारलौकिक सुख का मुख्य साधन है. सत्य धर्म का प्रधान अंग है. या यूं कहें सत्य और धर्म एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. प्राचीन काल में जब गुरुकु ल के शास्त्र पारंगतों को आचार्य सदाचार को शिक्षा देते थे तो सत्यं वद, धर्म चर पहले कहते थे. वेद शास्त्र-स्मृति विहित अर्थात शास्त्रों का आदेश है कि कुलीन आचरण ही धर्म है. जिसका परिणाम सुख हो, फल शुभ हो. धर्म शास्त्रों की शिक्षा से ही भारतीय अपने सदाचरण से देवत्व को प्राप्त होते आये हैं और हमारा यह भारत वर्ष देवभूमि के नाम से अभिवंदित हुआ है. धर्म शास्त्र ही कर्ममार्ग को निर्देशित करते हैं. संसार में कर्म ही अभ्युदय का कारण होता है. कथा के आयोजक समिति बढ़ते हुए भीड़ को संभालने में लगे थे. पंडित श्री तारानंद नाथ उर्फ बाना भक्तों के तथा श्रोताओं को भगवती श्यामा पितांबरा का मंदिर निर्माण में आगे आने का आह्वान किया. मिथिला के लोक संगीत मंच के शंभू प्रसाद यादव अपने मंडली के साथ भजन गाकर दर्शक श्रोता को आनंदित कर रहे थे.

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