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डॉक्टर, इंजीनियर बनने से पहले बनें अच्छा मानव : वीसी

दरभंगा : परिवार संस्कारों की पाठशाला होती है. बचपन में सीखे गये संस्कारों का प्रभाव पूरे जीवन में दिखता है. बिना मेहनत के कोई भी वस्तु प्राप्त नहीं होती. अगर लंबी उड़ान भरनी हो तो उसके लिए लगन और मेहनत के साथ हमें जीवन में त्याग की आदत डालनी चाहिए. डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक या कोई […]

दरभंगा : परिवार संस्कारों की पाठशाला होती है. बचपन में सीखे गये संस्कारों का प्रभाव पूरे जीवन में दिखता है. बिना मेहनत के कोई भी वस्तु प्राप्त नहीं होती. अगर लंबी उड़ान भरनी हो तो उसके लिए लगन और मेहनत के साथ हमें जीवन में त्याग की आदत डालनी चाहिए.

डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक या कोई अन्य पेशेवर बनने से पहले हमे अच्छा मानव बनने का प्रयास करना चाहिए. लनामिवि के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के अधीन कार्यरत रेड रिबन क्लब के तत्वावधान में स्थानीय एमएमटीएम कॉलेज में हमजोली शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा ने यह बातें कही.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का कार्य के वल डिग्री बांटना नहीं है बल्कि समाज को भी कुछ न कुछ देते रहना है. एनएसएस के कार्यक्रमों को अधिक समाजोपयोगी बनाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं की क्षमता का सदुपयोग हमेशा सही दिशा में समाज कल्याण में होना चाहिए.

एड्स पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बीमारियों से पूर्व ही उससे बचाव आवश्यक है. एड्स जैसे मुद्दों पर बच्चों से खुलकर लेकिन मर्यादा के दायरे में बातें होनी चाहिए. हमें सोचना चाहिए क ी हमारा आचार-व्यवहार, हमारी संस्कृति के अनुरुप है या नहीं. संयम पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि नियमों को तोड़कर बहुत आगे नहीं बढ़ा जा सकता. इससे पूर्व कुलपति डॉ कुशवाहाने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया.

विशिष्ठ अतिथि के रुप में डीएमसीएच के पैथोलॉजी विभाग के डॉ अजित कुमार चौधरी ने एड्स की जानकारी को बचाव का सबसे बड़ा उपाय बताते हुए कहा कि एचआइवी वायरस सिर्फ हमारे शरीर में ही जीवित रहता है. यह हमारी रोग निरोधक क्षमता को नष्ट करता है. एड्स से डरने की जरुरत नहीं है बल्कि उससे लड़ने एवं उसपर विजय प्राप्त करने की जरुरत है. विशिष्ट अतिथि के रुप में बिहार स्टेट एड्स नियंत्रण समिति की जिला समन्वयक (तकनीकी) अंशु कुमारी ने एड्स के चार प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई का प्रयोग, संक्रमित रक्त का प्रयोग एवं एड्स संक्रमित माता के संतान में एड्स होने की संभावना होती है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता सीनेट सदस्य सह महाविद्यालय शासी निकाय के सचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने की. एवं विषय प्रवेश एनएसएस समन्वयक आरएन चौरसिया ने किया. संचालन डा. राजकिशोर झा एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य डॉ उदयकांत मिश्र ने किया. कार्यक्रम में दरभंगा एवं मधुबनी के प्रतिभागियों सहित दर्जनों छात्र-छात्रओं ने भाग लिया. मौके पर एनएसएस अधिकारी डा. शिशिर कुमार झा, प्रो. राजकुमार साह, अवधेश कु मार झा, डा. धीरेंद्र कुमार, डा. उदय नारायण तिवारी, डा. हरेराम झा, प्रो. परमानंद झा मौजूद थे.

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