संगति से दिखता संस्कार का प्रभाव

आरएसएस का बौद्धिक सभा शुरुबिरौल . भारत की विशेषता अपने पूर्वजों से प्राप्त संस्कार को ग्रहण करने में है. संस्कार का प्रभाव संगति के कारण दिखता है और वह निज को भूल जाता है. उक्त बातें सुपौल के संतोबा इंटर नेशनल पब्लिक स्कू ल में आयोजित सात दिवसीय आरएसएस के प्राथमिक शिक्षा वर्ग वैदिक सत्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2015 11:03 PM

आरएसएस का बौद्धिक सभा शुरुबिरौल . भारत की विशेषता अपने पूर्वजों से प्राप्त संस्कार को ग्रहण करने में है. संस्कार का प्रभाव संगति के कारण दिखता है और वह निज को भूल जाता है. उक्त बातें सुपौल के संतोबा इंटर नेशनल पब्लिक स्कू ल में आयोजित सात दिवसीय आरएसएस के प्राथमिक शिक्षा वर्ग वैदिक सत्र के दौरान दरभंगा विभाग के वि. शाखा प्रमुख धर्मेंद्र ने कहा. उन्होंने उपस्थित स्वयं सेवकों से कहा कि भारत की खोज करनेवाला काम हर भारतीयों को पढ़ाया जाता है. कि वास्कोडिगामा ने भारत की खोज की, परंतु यह सही नहीं है. जिस भारत ने दुनियां मंे ज्ञान की रोशनी दी उसे कोई विदेशी कैसे खोज कर सकता है. 1846 एवं 1835 में भारत को समझने के लिए विद्वान विलियम ढिंग और लॉर्ड मैकाले भारत आये. उन्होंने अपने शोध के आधार पर कहा कि भारत की समृद्धि सागर से गहरी, ज्ञान अंतरिक्ष के सामान अनंत है. अशोक स्तंभ की गुणवत्ता विश्व के लिए चुनौती है. कपड़े की फैक्ट्री विश्व में भले बड़े-बड़े हों पर भारत के कारीगर हाथ से जो बनाते हैं उसे मशीन से विदेशो में तैयार किया जाता है. लॉर्ड मैकाले ने कहा था कि सारी दुनियां मिलकर भी भारत को परास्त नहीं कर सकता क्यों कि ज्ञान का आधार गहरा है. सभ्यता, संस्कृ ति सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया के मंत्र को जाप करता है. भारत, भा+रत ज्ञान में निरंतर लगे रहने वाले लोगों का देश, भारत ने दुनियां को शंाति और भाईचारा का संदेश देती है. इस मौके पर वर्ग मुख्य शिक्षक तेज नारायण भंडारी, विभाग बौद्धिक प्रमुख रवींद्र सिंह, जिला कार्यवाहक सनोज नायक, राम विलास भारती, रामाकांत साह आदि उपस्थित थे.

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