जयंती पर याद किये गये डॉ भीमराव आंबेडकर
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में मंगलवार को समारोहपूर्वक भारतरत्न डॉ भीमराव आंबेडकर की 124 वीं जयंती मनायी गयी. पीजी बॉटनी विभाग में आयोजित समारोह में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डा. साकेत कुशवाहा ने डा. आंबेडकर के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आंबेडकर प्रतिष्ठा की नहीं बल्कि महानता की बात करते […]
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में मंगलवार को समारोहपूर्वक भारतरत्न डॉ भीमराव आंबेडकर की 124 वीं जयंती मनायी गयी. पीजी बॉटनी विभाग में आयोजित समारोह में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डा. साकेत कुशवाहा ने डा. आंबेडकर के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आंबेडकर प्रतिष्ठा की नहीं बल्कि महानता की बात करते थे. उनका मानना था कि प्रतिष्ठित लोग घमंडी हो सकते हैं.
वहीं महान किसी कार्य को छोटा या बड़ा नहीं समझते. डा. कुशवाहा ने कहा कि 21 वीं सदी में भी हमारे विचार नहीं बदले. आज भी हम व्यवस्थाओं को अतीत की नजरों से ही देखते हैं. सामाजिक न्याय कहता है कि जिसका हक हो उसे मिलना चाहिए. असंतुष्ट प्राणी न तो समाज को, खुद को या संस्थान को खुश रख सकता है. इसलिए जरूरी है कि हमें संतुष्ट रहना सीखना चाहिए.
समारोह के मुख्य अतिथि बिहार भूदान यज्ञ समिति के अध्यक्ष कुमार शुभमूर्ति ने डा. आंबेडकर के जीवन व विचारों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि आंबेडकर एक इंसान थे जो इंसानियत को ऊपर उठाना चाहते थे. वे दलित का विकास नहीं बल्कि जाति को ही समाप्त करना चाहते थे.
उनका मानना था कि सभी इंसान बराबर हो तभी इंसानियत आगे बढ़ेगी. अपमान सहकर भी डा. आंबेडकर की सोच संकुचित नहीं हुई बल्कि उन्होंने संपूर्ण देश के लिए सोचा. डा. आंबेडकर के आर्थिक विचारों पर चर्चा करते हुए श्री शुभमूर्ति ने कहा कि वे मनीफैक्टर से अधिक हय़ूमन फैक्टर को महत्वपूर्ण मानते थे.
वहीं शिक्षा के बारे में उनका मानना था कि शिक्षा रोजगार के लिए नहीं बल्कि मानव में रुचि के प्रस्फु टन के लिए होनी चाहिए. प्रतिकुलपति प्रो. सैयद मुमताजुद्दीन ने इस अवसर पर कहा कि समाज को अपनी क्षमता को पहचानना होगा.
आदर्श समाज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह तभी होगा जब ऐसी स्थिति आ जाये जब समाज का वंचित वर्ग खुद कहे कि हमें कृपा नहीं चाहिए, हम भी सबके बराबर हैं. उन्होंने कई खिलाड़ियों का उदाहरण देते हुए कहा कि यह जरूरी नहीं कि हम समाज के किस वर्ग से आते हैं बल्कि सफलता एवं समाज में सम्मान पाने के लिए जरुरी यह है कि हम अपनी क्षमता को पहचाने और इसी अनुरुप आगे बढ़ने की चेष्टा करें.
विशिष्ट अतिथि समाज सेवी डा. कल्पना साथ ही ने कहा कि आंबेडकर वास्तव में एक संत थे. जिन्होंने लोगों को मानसिक गुलामी से आजादी दी. उन्होंने कहा कि केवल प्रतिक्रियावादी होने से काम नहीं चलेगा. इसे खत्मकर प्रतिक्रियाओं को चैनेलाइज करने की जरूरत है. जब तक देश में कुपोषण और जातिवाद रहेगा देश आगे नहीं बढ़ पायेगा.
इससे पूर्व कु लसचिव डा. अजित कुमार सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम का संयोजन भूसंपदा पदाधिकारी डा. हरेराम मंडल ने किया .
जबकि संचालन कुलानुशासक डा. अजय नाथ झा कर रहे थे. इस अवसर पर एडीएम दिनेश कुमार, इग्नू के सहायक क्षेत्रीय निदेशक श्रवण पांडेय, पूर्व विधान पार्षद डा. विनोद कुमार चौधरी, सुनीति रंजन दास, डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू, दशरथ कु मार, सत्यनारायण सिंहा, मिथिलेश कुमार पासवान, रामउदार मोची, डा. रामभरत ठाकुर, डा. रामदेव राय, डा. अमरेश प्रसाद, डा. सत्यनारायण प्रसाद, डा. मुश्ताक अहमद, डा. सत्यनारायण पासवान, डा. जितेंद्र नारायण आदि ने भी विचार रखे. मौके पर विवि के विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, अधिकारीगण, शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मीगण उपस्थित थे. इससे पूर्व विवि स्थित डा. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा सहित अन्य महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया.