46 कॉलेज कर्मियों के वेतन पर संकट

दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के 31 शास्त्री स्तर के 15 उपशास्त्री स्तर के महाविद्यालयों के शिक्षा कर्मियों का वेतन आवंटन राज्य सरकार आगामी माह से रोक दे तो कोई बड़ी बात नहीं. शुभंकरपुर निवासी डॉ श्यामानंद झा के द्वारा सूचना अधिकार कानून के तहत राजभवन से मांगी गयी जानकारी के जवाब में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2015 10:55 AM
दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के 31 शास्त्री स्तर के 15 उपशास्त्री स्तर के महाविद्यालयों के शिक्षा कर्मियों का वेतन आवंटन राज्य सरकार आगामी माह से रोक दे तो कोई बड़ी बात नहीं. शुभंकरपुर निवासी डॉ श्यामानंद झा के द्वारा सूचना अधिकार कानून के तहत राजभवन से मांगी गयी जानकारी के जवाब में विवि के कुलसचिव सह लोक सूचना पदाधिकारी डॉ एमके दूबे ने जो जवाब दिया है, उससे यह आशंका बन चुकी है. इसे लेकर विवि महकमे में चर्चाओं का बाजार गर्म है.
विवि सूत्रों की मानें तो कुलसचिव के जवाब से इन 46 महाविद्यालयों के शिक्षा कर्मियों के वेतन पर संकट के बादलछा सकते हैं. जानकारी के अनुसार, डॉ झा ने राजभवन से विवि के घाटानुदानित महाविद्यालयों के संदर्भ में जानकारी मांगी थी.
राजभवन ने सरकार से जानकारी मांगी. सरकार ने विवि से इस संदर्भ में घाटानुदानित कॉलेजों का विस्तृत विवरण मांगा. प्रश्न के जवाब में 15 अप्रैल को राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के लोक सूचना पदाधिकारी को जो जानकारी भेजी उसमें स्पष्ट लिखा गया कि विवि के अधीन एक भी घाटानुदानित कॉलेज नहीं है. विवि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार प्रत्येक माह इन महाविद्यालयों के वेतन मद में जो अनुदान भेजती है, उसमें इन कॉलेजों को घाटानुदानित मानते हुए ही वेतन आवंटन करती है. यह भी बता दें कि सरकार के अनुदान के साथ कॉलेजों की सूची भी संलगA रहती है.
इतना ही नहीं, सूत्रों की मानें तो विवि से सरकार को जो बजट भेजा जाता है उसमें भी इन कॉलेजों को घाटानुदानित ही दर्शाया जाता है. इतना ही नहीं, हाल ही में शास्त्री स्तर के कॉलेजों के कर्मियों के लिए सरकार से जो अतिरिक्त राशि की मांग की गयी है, उसमें भी विवि ने इन कॉलेजों को घाटानुदानित ही दर्शाया है. ऐसे में तो यही प्रतीत होता है कि जाने-अनजाने में कुलसचिव डॉ दूबे ने ऐसी चूक कर दी है जिसका खामियाजा विवि प्रशासन को आगामी दिनों में निश्चित रूप से ङोलना पड़ सकता है.
वहीं दूसरी ओर जानकारी यह भी मिल रही है कि सरकार को भेजे गये जवाब के बाद संबंधित कॉलेजों के कर्मी गोलबंद हो रहे हैं और अदालती कार्रवाई का मन बना रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि कुलसचिव इस बात को कैसे भूल गये कि कई बार सरकार से इन कॉलेजों को घाटानुदानित बताकर राशि की मांग की जा चुकी है.
इन कॉलेजों के कर्मियों के समक्ष इस बात को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है कि यदि कुलसचिव के जवाब के बाद सरकार इन कॉलेजों के वेतन मद की राशि रोक देती है तो विवि के पास भुगतान का दूसरा विकल्प क्या है. इधर इस संदर्भ में पूछे जाने पर कुलसचिव डॉ दूबे ने सरकार को भेजे गये जवाब की पुष्टि करते हुए एक बार फिर स्वीकार किया है कि विवि केअधीन एक भी घाटानुदानित महाविद्यालय नहीं है.

Next Article

Exit mobile version