स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति रही 25 फीसदी, निजी स्कूल रहे बंद
दरभंगा : गत शनिवार को स्कूल अवधि में अचानक आये भूकंप को बच्चों ने करीब से अनुभव किया था. इसका असर रविवार सहित तीन दिनों के बंदी के बाद बुधवार को स्कूलों के खुलने के बाद स्पष्ट देखा गया. स्कूली बच्चे खासकर निमA कक्षाओं के सहमे-सहमे थे.
उनके नन्हीं आंखों में डर के भाव स्पष्ट झलक रहा था. हालांकि कई निजी विद्यालय ऐहतियातन आज भी बंद रखे गये. जो विद्यालय खुले, उनमें उपस्थिति काफी कम रही. कई स्कूलों में तो 25 फीसदी तक ही उपस्थिति रही. जबकि सरकारी स्कूलों में पहले से ही नियोजित शिक्षकों की हड़ताल की वजह से कक्षाएं बाधित है, किंतु विभागीय आदेश से दो दिनों तक बंद रहने के बाद बुधवार को बच्चे नदारद मिले. कई स्कूलों में शिक्षकों को बच्चों के इंतजार में भूकंप पर चर्चा में मशगूल देखा गया.
यही स्थिति कमोबेश हाइस्कूलों में भी रहा. कई अभिभावकों ने बताया कि रह-रहकर दो दिनों से भूकंप के हल्के झटकों को लेकर बच्चों को स्कूल भेजने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. उनका मानना है कि अधिकांश स्कूल भवन पुराने एवं भूकंपरोधी नहीं है. ऐसे में वे किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान सहित कई विद्यालयों में बच्चे एवं शिक्षकों ने भूकंप में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी.
अधिकांश निजी विद्यालय रहे बंद
सरकारी आदेश से भूकंप के दो दिनों के बंदी आदेश समाप्त होने के बावजूद बुधवार को कई निजी विद्यालय प्रबंधन ने अपने स्कूलों को बंद रखा. देलही पब्लिक स्कूल, डीएवी, दरभंगा सेंट्रल स्कूल आदि बंद रखे गये. ऐसा उनका ऐहतियातन कदम था. स्कूल प्रबंधन किसी प्रकार का खतरा नहीं लेना चाहते थे.
इनमें से ऐसे भी कई स्कूल है, जिनका भवन निर्माण पुराना है तथा गत भूकंप से भवन के कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त भी हो गया है अथवा प्लास्टर वगैरह गिर गये हैं. शनिवार एवं रविवार को आये तीन बड़े झटके तथा कई हल्के झटकों की चर्चा स्कूली छात्र एवं शिक्षकों में रही. सब अपनी-अपनी अनुभवों को आपस में बांटते दिखे.
मसलन उस वक्त क्या कर रहे थे, इसके बाद क्या किया, नुकसान क्या हुआ वगैरह-वगैरह. वहीं उच्च कक्षाओं के छात्र-छात्रओं ने नेपाल में विनाशकारी तबाही के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते रहे.