झूला की तरह झूल रहे थे झोपड़ी

खेत-खलिहानों में डेरा डाले हैं लोग कुशेश्वरस्थान . झोपड़ी, मकान, बिजली के खंभो ऐसे झूल रहे थे मानो किसी शादी में गाजे-बाजे की धुन पर झूम रहे हों. बच्चे, बूढ़े, नौजवान एवं महिलाएं डर के मारे खेत-खलिहान में जाकर घर-द्वार को खुला छोड़ भगवान का नाम लेने में जुटे थे. जैसे ही लोग भूकंप का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2015 10:04 PM

खेत-खलिहानों में डेरा डाले हैं लोग कुशेश्वरस्थान . झोपड़ी, मकान, बिजली के खंभो ऐसे झूल रहे थे मानो किसी शादी में गाजे-बाजे की धुन पर झूम रहे हों. बच्चे, बूढ़े, नौजवान एवं महिलाएं डर के मारे खेत-खलिहान में जाकर घर-द्वार को खुला छोड़ भगवान का नाम लेने में जुटे थे. जैसे ही लोग भूकंप का कंपन समाप्त होने के बाद घरों की ओर जाने का रुख किया कि फिर से एक के बाद एक तीन झटकों भूकंप के आने से लोगों को डर से लोग खुले आसमान में ही परिजनों संग बैठ समय गुजारना ही मुनासिब समझ रहे थे. हर किसी के जुबान पर नेपाल मंे भूकंप से हुए जानमाल की क्षति की चर्चा लोग करते अपने को सुरक्षित नहीं रहने की बात कर रहे थे. इतना ही नहीं पांच साल के बच्चे व बूढ़े लोगों से पूछ रहे कि ‘फेरो भूकंप आवै वाला छै’राइतो में भूकंप एतै की?’ जिसपर कोई जवाब देने के बदले लोग असमंजस में सिर्फ पता नहीं कि बात कर सिहर जाते थे. वहीं सरकारी कार्यालय एवं बैंक कर्मी भी भूकंप की डर से घंटों कामकाज छोड़कर बाहर खुले में रहे.

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