कार्यालय में हो गयी अघोषित छुट्टी

दरभंगा : लहेरियासराय स्थित समाहरणालय परिसर में मंगलवार को दोपहर 12.35 में आये भूकंप के झटको के बाद अफरा तफरी मच गयी. अधिकारी की कौन कहे कर्मी भी बाहर की ओर भागे. महिला कर्मी और बुजुर्ग के साथ साथ विकलांग कर्मियों ने भी अपनी जान बचाने के लिए खुले का सहारा लिया. डीएम कुमार रवि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2015 2:09 AM
दरभंगा : लहेरियासराय स्थित समाहरणालय परिसर में मंगलवार को दोपहर 12.35 में आये भूकंप के झटको के बाद अफरा तफरी मच गयी. अधिकारी की कौन कहे कर्मी भी बाहर की ओर भागे.
महिला कर्मी और बुजुर्ग के साथ साथ विकलांग कर्मियों ने भी अपनी जान बचाने के लिए खुले का सहारा लिया. डीएम कुमार रवि अपने कक्ष के बाहर खड़े हो स्थिति पर नजर रख रहे थे. वहीं विभिन्न प्रशाखा के पदाधिकारी अपने अपने प्रखंडों का हालचाल जानने का व्याकुल दिखे.
करीब आधे घंटे तक अफरा तफरी का माहौल बरकरार रहा. ज्योंही लोग कार्यालयों में जाने को आतुर हुए फिर भूकंप के झटके लगे. लोग फिर भागने लगे. समूचा परिसर कर्मियों से अटा पड़ा था. इसी बीच अधिकांश कर्मी अपने अपने घरों का हाल चाल जानने रवाना हो गये. यों कहिए की अघोषित छुट्टी हो गयी.
जजर्र भवन के हिलने से खौफजदा रहे कर्मी
प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय परिसर में अफरा तफरी कुछ अधिक ही थी. हो भी क्यों नहीं आयुक्त कार्यालय भवन को क्षतिग्रस्त जो घोषित कर दिया गया है. ऊपरी तल पर चल रहे कार्यालयों को पहले से ही शिफ्ट कर दूसरी जगह काम लिया जा रहा है, लेकिन नीचले तल पर कार्यरत कर्मी के चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा था. हर चेहरा बेचैन दिखा.
हर नजर अपनों की सलामती की दुआ मांग रहा था. सनद रहे कि पिछले दिनों आये भूकंप में कमिश्नरी भवन को क्षति हुई थी, और विशेषज्ञों की टीम ने इसकी विशेष मरम्मति कराने की अनुशंसा की थी. अभी इसकी कार्रवाई चल ही रही थी कि ताजा भूकंप के झटकों ने इस भवन को और क्षतिग्रस्त कर दिया. भूकंप के लगातार आये
झटकों के बाद अधिकांश कर्मी कार्यालय में जाने से परहेज करते दिखे.
बूढ़ी दादी पोते का सहारा ले सड़क पर भागी
दोनार चौक का व्यस्ततम चौराहा भूकंप के बाद सड़क जाम में तब्दील हो गया था. वजह थी भूकंप के झटकों के बाद लोगों को अपने घर जाने की जल्दी. अपराह्न् 12.35 से लेकर करीब 1.50 तक भूकंप के झटके आते रहे.
भयभीत लोग सड़क पर निकलकर कुदरत के इस कहर से बचने की जुगत में लगे रहे. कमोबेश यही स्थिति अललपट्टी चौक के इर्द गिर्द के गलियों में देखने को मिली. संकरी गलियों में घरों से बाहर भागकर आये लोगों ने अपनी बदहवाशी को लाख छुपाना चाहा लेकिन छुप न सका. मरीज के परिजन अपने मरीज को लेकर सड़क पर थे. बूढ़ी दादी पोते का सहारा ले सड़क पर जान बचाने को भागी थी. बूढ़े अब्बा को साथ लेकर भागे बेटे ने उन्हें सड़क पर ही बिठा दिया और अम्मी को बाहर निकालने घर की ओर भागा. लहेरियासराय टावर के समीप हर कोई टावर को निहार रहा है.
कोई इसे दायीं ओर झुका बताता तो कोई बायीं ओर. टावर के इर्द गिर्द सैकड़ो लोग जमा हैं. सबों के हाथ मोबाइल पर दौड़ रहे हैं. लेकिन बात किसी की नहीं हो पा रही थी. बेचैन लोगों ने घर का रुख कर लिया.
कुछ देर के लिए भीड़ की वजह से चौराहा जाम हो गया. ठीक इसी तरह के हालात डेनवी रोड मुहल्ले का था. जब पहला झटका महसूस हुआ तो मुहल्लेवासी अपने अपने घरों से बाहर भागकर रोड पर पहुंच गये. कुछ देर बाद फिर लोगों ने झटके महसूस किये और लोग बाहर आते रहे. यह क्रम लगभग तीन चार बार हुआ.
मैं भी अपने घर में पलंग पर लेटा था. इसी बीच झटका महसूस की, बगल में मेरा छोटा बेटा सानू सोया था मैं उसे उठाकर खुले में दौड़ा. दहशत में कुछ देर वह कुछ नहीं बोल पा रहा था. जब भूकंप का झटका शांत पड़ा तो उसे घर लेकर आया.

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