ऐसे सुरक्षाकर्मी किस काम के
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में मुस्तैद सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पर सवाल उठने लगे हैं. उनकी बहाली की आवश्यकता सवाल के घेरे में आ गयी है. कारण जब इनकी मौजूदगी में भी विवाद हो ही जाता है तो आखिर ये करते क्या हैं? विवि प्रशासन ने आखिर उन्हें क्यों लगा रखा है? प्रतिमाह लाखों […]
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में मुस्तैद सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पर सवाल उठने लगे हैं. उनकी बहाली की आवश्यकता सवाल के घेरे में आ गयी है. कारण जब इनकी मौजूदगी में भी विवाद हो ही जाता है तो आखिर ये करते क्या हैं? विवि प्रशासन ने आखिर उन्हें क्यों लगा रखा है?
प्रतिमाह लाखों क्यों खर्च कर रही है? अगर इनके रहने के बाद भी मारपीट हो जायेगी तो ये रहकर क्या करेंगे. इससे तो बेहतर होता कि ये नहीं रहते तो भी उतना ही होता जितना इनके रहते हुआ. ये सवाल 19 व 20 मई को हुए विवाद के बाद लोगों की जुबान पर चढ़ गया है. वैसे इस घटना के दौरान पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी प्रश्न खड़े हो रहे हैं.
कारण पुलिस बल के साथ मौजूद थानाध्यक्ष के सामने ही विवि कर्मी समर्थक उपद्रवियों ने न केवल सरेआम धमकी दी बल्कि मारपीट भी की. उस पर पुलिस ने कुछ नहीं किया. बस तमाशबीन बनी रही. हालांकि पुलिस का दूसरा चेहरा लेकर सिटी एसपी आये. उन्होंने पहल कर वात्र्ता करवायी. साथ ही एक पखवारा से चल रहे आंदोलन को समाप्त करा दिया.उल्लेखनीय है कि विवि प्रशासन ने यूनिवर्सिटी मुख्यालय में सुरक्षा गार्ड तैनात कर रखा है.
इनका काम असामाजिक तत्वों पर न केवल नजर रखना है, वरन किसी भी उपद्रव की स्थिति को रोकना भी है, लेकिन कई ऐसी घटनाएं चीख-चीख कर कह रही हैं कि इन की भूमिका नकारा सरीखा ही है. सनद रहे कि सीनेट की बैठक के दौरान छात्र प्रतिनिधियों पर लाठी चार्ज हुआ. इसमें छात्र प्रतिनिधि व उपस्थित प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इसमें असामाजिक तत्वों ने हमला किया. अगर यह सच है तो सुरक्षा गार्ड के रहते ऐसा कैसे हो गया.
इसी तरह 19 मई को वात्र्ता के लिए बुलावे पर समर्थकों के साथ जा रहे आंदोलित शिक्षक के साथ जिस समय मारपीट हुई उस समय ये गार्ड तमाशबीन नजर आये. प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो अगर ये सुरक्षाकर्मी समय रहते पहल करते तो इस तरह की स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती, लेकिन वे सभी मात्र दर्शक के रूप में खड़े रहे. इससे पूर्व भी कई बार विवि पदाधिकारियों व कर्मचारियों के साथ कथित असामाजिक तत्वों ने अभद्र व्यवहार किया.
गाली-गालौज की. सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी में तथाकथित असामाजिक तत्व विवि परिसर में प्रवेश कैसे कर गया. अगर वह किसी तरह घुस भी गया तो जिस समय इस तरह की घटना हुई तो गार्डो ने उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की. इतना ही नहीं इन सुरक्षाकर्मियों के रहते बेशकीमती चंदन के पेड़ कट कैसे गये. जब मारपीट, हंगामा व चोरी सरीखे वारदात यूं ही होती रहेंगी तो इनका काम ही क्या. विवि प्रशासन किस काम के लिए इन पर लाखों प्रतिमाह खर्च कर रहा है. यहां बता दें कि विवि प्रशासन ने गोस्वामी सिक्यूरिटी एजेंसी, मुजफ्फरपुर को चंदन पेड़ चोरी के बाद काम पर लगाया.
सूत्रों के अनुसार, 53 सुरक्षा गार्ड पर विवि प्रशासनिक भवन से लेकर नरगौना परिसर की सुरक्षा की जवाबदेही है. इन पर प्रतिमाह लगभग चार लाख से अधिक व्यय लनामिवि कर रहा है.