टेराकोटा कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास

सदर. टेराकोटा देश की एक बहुत ही प्राचीन कला है. प्राचीन विभिन्न कलाकृतियों में टेराकोटा की सदियों एक अलग पहचान रही है. वर्तमान मेंं यह विलुप्त होती दिखायी पर रही है. एक बार फिर से इसे पुनर्जीवित करने के लिए नाबार्ड ने एक अच्छी पहल शुरू की है. सदर प्रखंड के कबरिया मुसहरी टोले में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2015 6:04 PM

सदर. टेराकोटा देश की एक बहुत ही प्राचीन कला है. प्राचीन विभिन्न कलाकृतियों में टेराकोटा की सदियों एक अलग पहचान रही है. वर्तमान मेंं यह विलुप्त होती दिखायी पर रही है. एक बार फिर से इसे पुनर्जीवित करने के लिए नाबार्ड ने एक अच्छी पहल शुरू की है. सदर प्रखंड के कबरिया मुसहरी टोले में शुक्रवार को नाबार्ड की ओर से कुम्हारों के लिए 13 दिनी टेराकोटा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू की गयी है. इस दौरान उक्त टोले के 25 कुम्हार परिवारों की महिलाएं व पुरुष ने भाग लिया. मौके पर नाबार्ड के डीडीएम एसके मजूमदार ने कहा कि बिहार में भी कहीं-कहीं इस कला से बनायी जाती है इसमें दरभंगा का नाम भी शामिल है. लेकिन यहां कलाकारों को प्रभावी प्रशिक्षण एवं मार्केटिंग विपणन की सुविधा नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के पश्चात उनके द्वारा तैयार की गयी कलाकृतियों को विपणन करने एवं सहायता देने की व्यवस्था की जायेगी. प्रशिक्षक जगदीश पंडित के द्वारा इन्हें प्रशिक्षित कराया जा रहा है. इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक सैयद निशाद, चंद्रवीर यादव आदि मौजूद थे.

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