मां ने अपनी ममता को किया तार-तार
जाले : ‘‘कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति॥’’ जैसे श्रीदुर्गासप्तशती के मंत्रों को तार-तार करते हुए जाले पश्चिमी पंचायत के भटपोखड़ा गांव में ब्रहृम-स्थान के समीप एक बागीचे में पड़ी एक नवजात बच्ची को बेसहारा छोड़ एक निर्दयी मां चलती बनी़ ’मारने वाले से बचाने वाले का हाथ बड़ा होता है’ सुबह टहलने गये उक्त […]
जाले : ‘‘कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति॥’’ जैसे श्रीदुर्गासप्तशती के मंत्रों को तार-तार करते हुए जाले पश्चिमी पंचायत के भटपोखड़ा गांव में ब्रहृम-स्थान के समीप एक बागीचे में पड़ी
एक नवजात बच्ची को बेसहारा छोड़ एक निर्दयी मां चलती बनी़ ’मारने वाले से बचाने वाले का हाथ बड़ा होता है’ सुबह टहलने गये उक्त पंचायत के विपीन कुमार पाठक की जैसे ही उस पर नजर पड़ी कि उन्होंने अपने एक साथी के सहयोग से उक्त बेसहारा बच्ची को अपनी गोद में लेते हुए स्थानीय थाना को सूचित करते हुए स्थानीय रेफरल अस्पताल में भर्ती करवाया़
वहां उपस्थित डा़ विवेकानंद झा ने जब उक्त बच्ची का नब्ज टटोला तो उसे जीवित पाया़ उसकी प्राण-रक्षा के लिये उसे फौरन आइसीयू में रखने का निर्देश अस्पताल कर्मियों को दिया़ वहां इलाज कराने आये मरीजों ने अपना-अपना दु:ख-दर्द को भूल उक्त बच्ची को निहारते देखे गये. साथ ही वे सभी उसकी मां को कोसने लग़े