कैंपस- न्याय सिद्धांत मुक्तावली के शब्दखंड पर हुई शास्त्रीय चर्चा

संस्कृत विवि के दर्शन विभाग में चल रही कार्यशालाफोटो- 4 परिचय-कार्यशाला में उपस्थित विद्वतजन दरभंगा . कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पीजी दर्शन विभाग में न्याय सिद्धांत मुक्तावली दिनकरी सहित पर राष्ट्रीय कार्यशाला के नौवें दिन शब्दबोध की कारण सामग्रियों में गत दिनों की चर्चा के आगे योग्यता, आकांक्षा व तात्पर्य ज्ञान के विषय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2015 7:04 PM

संस्कृत विवि के दर्शन विभाग में चल रही कार्यशालाफोटो- 4 परिचय-कार्यशाला में उपस्थित विद्वतजन दरभंगा . कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पीजी दर्शन विभाग में न्याय सिद्धांत मुक्तावली दिनकरी सहित पर राष्ट्रीय कार्यशाला के नौवें दिन शब्दबोध की कारण सामग्रियों में गत दिनों की चर्चा के आगे योग्यता, आकांक्षा व तात्पर्य ज्ञान के विषय में शास्त्रीय चर्चा आरंभ हो गयी. सर्वप्रथम योग्यता के रुप कारण की उपयोगिता शब्दबोध में किस प्रकार होती है इस पर दिनकरीकार के मंतव्य के साथ इसे स्पष्ट किया गया. नव्य मत में योग्यता की आवश्यकता को अन्य कारणों के साथ जोड़कर बताया गया. वहीं आकांक्षा जो पदों के बीच परस्पर अन्वय को पूरा करती है उसके शास्त्रीय महत्व पर प्रकाश डाला गया. अंत में तात्पर्य ज्ञान जो कि शब्दबोध में एक महत्वपूर्ण कारण है, इसको प्रकरण आदि के माध्यम से श्रोता वक्ता के तात्पर्य को जान पाता है, इसकी शास्त्रीयता बतायी गयी. उदाहरण देते हुए बताया गया कि सैंधव मानय में सैंधव पद का अर्थ लवण अथवा घोड़ा दोनों होता है किंतु भोजन काल में सैंधव मानय का तात्पर्य लवण में है. इस तरह अनेक उदाहरणों के माध्यम से शब्दबोध में तात्पर्य ज्ञान की कारणता सिद्ध की गयी. आधार पुरुष के रुप में डॉ गोविंद चौधरी एवं डॉ महेश झा उपस्थित थे. दूसरे सत्र में प्रतिभागियों के शंकाओं का समाधान प्रश्नोत्तर के माध्यम से किया गया. कार्यशाला में संयोजक सह विभागाध्यक्ष डॉ बौआनंद झा पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ भगीरथ मिश्र, प्रतिभागियों में डॉ दयानाथ झा, डॉ सुधीर कुमार झा, डॉ विनय कुमार मिश्र, अखिलेश कुमार आदि उपस्थित थे.

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