आठ वर्षो से बगैर नवीकरण के चल रहे शहर के सिनेमा हॉल
छविगृह में दर्शकों के लिए सुविधाओं की कमी, प्रशासक मूकदर्शक दरभंगा : मनोरंजन का एकमात्र साधन शहर के सिनेमा घर हैं. लेकिन इनकी स्थिति बद से बदतर हो चली है. लापरवाह सिनेमा हॉल संचालक को न तो दर्शकों की सुविधाओं का ख्याल है और न ही प्रशासन का खौफ. तभी तो बिना किसी सूचना के […]
छविगृह में दर्शकों के लिए सुविधाओं की कमी, प्रशासक मूकदर्शक
दरभंगा : मनोरंजन का एकमात्र साधन शहर के सिनेमा घर हैं. लेकिन इनकी स्थिति बद से बदतर हो चली है. लापरवाह सिनेमा हॉल संचालक को न तो दर्शकों की सुविधाओं का ख्याल है और न ही प्रशासन का खौफ. तभी तो बिना किसी सूचना के मनमाफिक फिल्मों का संचालन इन सिनेमा घरों में किया जा रहा है.
इससे हॉल संचालकों की कमाई तो हो रही है लेकिन दर्शक पैसे देकर भी सुविधा विहीन सिनेमा देखने को विवश हैं. शहर में कुल पांच सिनेमा घर संचालित हो रहे हैं. इसमें अधिकांश सिनेमाघर मानक के दृष्टिकोण पर खरे नहीं उतर रहे हैं. यहां न तो पेयजल की समुचित व्यवस्था है और न ही पार्किग का इंतजाम. अगर कोई अनहोनी हो जाय तो दर्शकों की भारी क्षति ङोलनी पड़ सकती है.
अधिकतर हॉल में दिखायी जाती ‘सी’ ग्रेड फिल्में
सिनेमा हॉल में मनमाफिक फिल्में दिखायी गयी. इसमें अधिकांश फिल्में ‘सी’ ग्रेड की रही.
सभी सिनेमा घरों में मॉर्निग शो का संचालन कर इन फिल्मों को दिखाकर मोटी रकम की कमाई की गयी. सभी सिनेमा हॉल संचालकों ने विभागीय लापरवाही का जमकर लाभ उठाया और दर्शकों का मानसिक और आर्थिक दोहन किया. गौरतलब हो कि इन सी ग्रेड की फिल्मों के दर्शक स्कूली छात्र हुआ करते हैं. स्कूल के बहाने घर से निकलकर वे सीधे सिनेमा हॉल पहुंच सी ग्रेड सिनेमा का लुत्फ उठाते हैं.
अधिकारी के निरीक्षण में खुलासा
मंगलवार की सुबह अधिकारी जयचंद्र यादव ने जब नेशनल सिनेमा हॉल का निरीक्षण किया तो वहां कई गलतियां मिली. अव्वल यह कि उसका लाइसेंस नवीकरण 2008 से लंबित है. हॉल के भीतर दर्शकों के बैठने के इंतजाम बेहतर नहीं मिले.
शौचालयों व मूत्रलयों की स्थिति अच्छी नहीं मिली. पार्किग सुव्यवस्थित नहीं था. सोसाइटी सिनेमा हॉल में बैठने के इंतजाम ठीक भी है, पार्किग व्यवस्था भी संतोषजनक पायी गयी. पेयजल की व्यवस्था थी लेकिन एक हैंडपंप के सहारे ही काम लिया जा रहा है.
सबसे बदइंतजामी उमा सिनेमा हॉल की मिली. यहां न तो पेयजल और न मूत्रलय की व्यवस्था. महिला-पुरुष मात्र एक ही शौचालय का उपयोग करने को विवश हैं. बताया गया है कि लाइट हाउस और पूनम सिनेमा हॉल में शौचालय और मूत्रलय के इंतजाम ठीकठाक हैं. भवनों के जजर्र रहने के कारण बरसात में दर्शकों के उपर पानी टपकता रहता है. इसकी शिकायत कई दर्शकों ने की है.
वर्षो से सिनेमा घरों में लगाये गये अगिAशमन उपकरण में गैस की रिफिलिंग नहीं कराया गया है. उपकरणों की मौजूदा स्थिति बेहद खराब है. उसपर लगे धूल, मकड़े व झोल बता रहे हैं कि वर्षो से उपकरण की सफाई तक नहीं हुई है.
कई सिनेमा हॉल की दीवारों में भूकंप के दौरान क्रै क भी आ गया है बावजूद इसके सिनेमा हॉल संचालक इसकी मरम्मत नहीं करा सके हैं. शहर के बीचो बीच अवस्थित उमा सिनेमा हॉल की हालत और भी बदतर है. यहां की स्थिति नारकीय है. परिसर का कोना मूत्रलय के रुप में दर्शक उपयोग कर रहे हैं.
शौचालय की तो पूछिये मत वहां झांकना भी मुनासिब नहीं. पार्किग की समुचित व्यवस्था नहीं है. समूचे परिसर में गंदगी का साम्राज्य है. कमोबेश यही स्थिति सभी सिनेमा हॉल की है. सोसाइटी, नेशनल, पूनम तथा लाइट हाउस में मूत्रलय की व्यवस्था तो है लेकिन इंतजाम काफी खराब है. लोग उसमें जाने से कतराते हैं.
दिखायी कौन कौन फिल्में, पता नहीं!
शहर के यहां के पांच सिनेमा घरों में पिछले दिनों कौन कौन सी फिल्में कब कब और कितने शो में दिखायी गयी है. इसकी जानकारी किसी को नहीं. सिनेमाघर संचालक को छोड़ कर इस रिकार्ड का कही अता पता नहीं है. नियम है कि किस हॉल में कौन सी फिल्में कब कब कितने शो में दिखायी जायेगी इसकी सूचना 24 घंटे पूर्व विभाग को दिया जाना है. लेकिन इस अहम बात को सभी सिनेमा हॉल संचालकों ने भूलते हुए मनमाफिक फिल्मों का प्रदर्शन कर नियमों को ताक पर रख काम किया.
सिनेमा संचालकों ने वर्षो से लाइसेंस का नवीकरण नहीं कराया है. इसको लेकर नोटिस भेजा जा रहा है. निरीक्षण में उमा सिनेमा हॉल में काफी कमी पायी गयी. इसको लेकर उनके संचालकों से स्पष्टीकरण पूछा गया है. दर्शकों को मूलभूत सुविधाएं नहीं कराने वाले सिनेमा हॉल को बंद कराने की कार्रवाई करायी जायेगी.
जयचंद्र यादव, प्रभारी जिला सामान्य शाखा, दरभंगा .
बगैर लाइसेंस के चल रहे सिनेमा हॉल
विगत आठ वर्षो से बिना नवीकरण के सिनेमा हॉल संचालित किया जा रहा है. 2008 से सिनेमा हॉल संचालकों का लाइसेंस रिन्यूवल नहीं हुआ है फिर भी संचालक बेधड़क सिनेमा प्रदर्शित कर मोटी रकम अजिर्त कर रहे हैं. इस बात का खुलासा अधिकारी की जांच के दौरान सामने आया. जब उन्हें बताया गया कि 2008 से लाइसेंस का नवीकरण नहीं हुआ है तो वे खुद भी आश्चर्य जताया. यह स्थिति एक की नहीं पांचों सिनेमा घरों की है.