बुजुर्गों के अनुशरण कर बढ़ रहे नन्हें रोजेदार

मुफ्ती मुहल्ला में भी हैं छोटे रोजेदार फोटो संख्या- 05 से 09 तक लगातार परिचय- नन्हें रोजेदारों की तसवीर फोटो संख्या- 10परिचय- शाही जामा मस्जिद किलाघाट की तसवीर दरभंगा: प्रत्येक वर्ष नन्हें रोजेदारों को भी रमजान का इंतजार रहता है. माह रमजान के आते ही चारों ओर एक अलग सी रूहानियत का एहसास होने लगता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2015 8:04 PM

मुफ्ती मुहल्ला में भी हैं छोटे रोजेदार फोटो संख्या- 05 से 09 तक लगातार परिचय- नन्हें रोजेदारों की तसवीर फोटो संख्या- 10परिचय- शाही जामा मस्जिद किलाघाट की तसवीर दरभंगा: प्रत्येक वर्ष नन्हें रोजेदारों को भी रमजान का इंतजार रहता है. माह रमजान के आते ही चारों ओर एक अलग सी रूहानियत का एहसास होने लगता है. रमजान में अधिकांश लोग अल्लाह की इबादत में लग जाते हैं. अपनी गुनाहों की माफी मांगते हैं और आने वाले कल की सलामती की दुआ मांगते हैं. मुफ्ती मुहल्ला के भी बहुत से छोटे-छोटे बच्चे रोजे रखें हैं. बच्चों ने प्यास व गरमी की सिद्दत को भी पीछे छोड़ दिया है. मो जीशान (8), सबीना खातून (10), रौशनी प्रवीण (12), हेना प्रवीण(9), मो शाहीद (9) तथा सबसे कम उम्र के मो जीशान 3 वर्ष से रोजा रख रहा है. उसने एक भी रोजा नहीं तोड़ा है. वह कहता है कि इस वर्ष पूरे रोजे रखूंगा, हार नहीं मानूंगा. वहीं 10 वर्षीय सबीना कहती हैं कि अल्लाह का हुक्म है रोजा रखना, नमाज पढ़ना और कुरआन पढ़ना. रौशनी प्रवीण का कना है कि रोजे में इफ्तार की तैयारी करना एवं सबों के साथ मिल-बैठकर रोजा खोलना बहुत अच्छा लगता है. हेना प्रवीण ने यह पूछने पर कि रोजा क्यूं रखी हो तो उसका कहना था कि रोजा हमें एहसास दिलाता है. दूसरों की प्यास व भूख कैसे गरीब कई-कई दिन भूखे गुजार देते हैं. वे 10 रोजा किया है. मो शाहीद भी 3 रोजे रखे हैं. उनका कहना है कि अल्लाह हिम्मत देता है और रोजा रख लेते हैं साथ ही पढ़ाई भी करते हैं.

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