नन्हें-मुन्ने बच्चांे ने भी रखे रोजे
/रफोटो ::::::::::दरभंगा/अलीनगर : माहे रमजां तेरी अजमत को सलाम. अब रमजानुल मुबारक रूखसत होने को है. जिसके लिये उक्त भावनाओं से हरेक रोजेदार ओत प्रोत हंै. इतना ही नहीं, नन्हें उम्र के लड़के व लड़कियोें ने भी अब तक के सभी रोजों में से 2 से 25 रोजे रखकर लोगों में खुशियां बिखेरने के साथ […]
/रफोटो ::::::::::दरभंगा/अलीनगर : माहे रमजां तेरी अजमत को सलाम. अब रमजानुल मुबारक रूखसत होने को है. जिसके लिये उक्त भावनाओं से हरेक रोजेदार ओत प्रोत हंै. इतना ही नहीं, नन्हें उम्र के लड़के व लड़कियोें ने भी अब तक के सभी रोजों में से 2 से 25 रोजे रखकर लोगों में खुशियां बिखेरने के साथ उन्हें आश्चर्य में डाल दिया है. ऐसे बच्चोंे मे शीशो हरसिंगपुर की 7 वर्षीया नईमा करीम, 7 वर्षीया फलक अनवर, हरियठ के 8 वर्षीय मो. मोजम्मील, गरौल के 9 वर्षीय अबुहमजा, पिरहौली के 9 वर्षीय मो. मेराज, श्यामपुर के 10 वर्षीय ईनायत करीम, 9 वर्षीय मो. आतिफ हुसैन, 7 वर्षीय अफीफउददीन अहमद, 8 वर्षीया कुरबत फातमा, धमुआरा की 8 वर्षीया ताहिरा प्रवीण, पकड़ी की 8 वर्षीया सुमैया कमाल, रूपसपुर की 8 वर्षीया सायमा प्रवीण, धमुआरा की 8 वर्षीया तहसीन फातमा, पकड़ी की 8 वर्षीया वजीहा बेलाल एवं तारडीह प्रखण्ड के इजराहटा गांव की 9 वर्षीया सुफिया फातमा शामिल हैं. जिन्होनें पूरे आस्था व अकीदत के साथ अपने पारिवारिक सदस्यों की तरह रमजानुल मुबारक के रोजे का एहतराम व सम्मान किया. रोजा रखने के साथ-साथ पांच वक्त की नमाजें भी अदा करते रहे. अपने तन की पवित्रता के साथ-साथ अपने वेश भूषा रोजेदार के जैसा दिखाने का इन्हांेने प्रयास किया. जहां लड़के सिर पे टोपियों का रखना जरूरी समझा. वहीं लड़कियां दुपटटों को खास तौर पे इस्तेमाल करके लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनते रहे. इन रोजेदारों के चलते इन्हंे और इनके माता पिता को मुबारकबाद देने वालों का हर रोज तांता लगा रहा. कई लोगों ने तो इन्हें अपने साथ इफ्तार भी करवाया.