कलश स्थापन के लिए सुबह 6.15 से 7.15 तक मुहूर्त उत्तम
दरभंगा : शारदीय नवरात्र 13 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. कलश स्थापन के साथ शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की आराधना में मिथिला का यह क्षेत्र लीन हो जायेगा. कलश स्थापन आगामी मंगलवार को होगा. इसके लिए सबसे उत्तम मुहूर्त सूर्योदय के पश्चात एक घंटा तक रहेगा. इस अवधि में विधि-विधानपूर्वक कलश स्थापित कर […]
दरभंगा : शारदीय नवरात्र 13 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. कलश स्थापन के साथ शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की आराधना में मिथिला का यह क्षेत्र लीन हो जायेगा.
कलश स्थापन आगामी मंगलवार को होगा. इसके लिए सबसे उत्तम मुहूर्त सूर्योदय के पश्चात एक घंटा तक रहेगा. इस अवधि में विधि-विधानपूर्वक कलश स्थापित कर पूजन आरंभ करने का फल सर्वोत्तम मिलेगा.
प्रख्यात ज्योतिषी पं. कालीकांत मिश्र ने इस संबंध में बताया कि भगवती के पूजन का सबसे उत्तम काल उषा काल होता है. सूर्योदय प्रात: 6.15 बजे हो रहा है. इसलिए इस समय से इस विधि को पूर्ण किया जाना बेहतर रहेगा.
डेढ़ घंटे बाद अधपहरा शुरू हो जाता है. इस अवधि में यह कार्य निषिद्ध है. इसलिए 6.15 से 7.15 के मध्य यदि कलश स्थापन अनुष्ठान आरंभ हो जाये तो सबसे उत्तम फल दायक होगा.
इसके बाद डेढ़ घंटे तक अधपहरा का काल रहेगा. इसके बाद पूर्वाहृन 9 बजे से 10 बजे के बीच का कला इस के लिए मध्यम रहेगा. अगर किसी कारणवश प्रात: काल कलश स्थापन अनुष्ठान आरंभ नहीं हो पाता है तो 9 से 10 बजे के बीच अवश्य इसे शुरू कर देना चाहिए .
कारण इसके फलाफल का प्रभाव केवल पूजक पर नहीं पड़ता बल्कि देश-समाज पर भी असर पड़ता है. शुभ मुहूर्त में ही आरंभ करें अनुष्ठान: कालीकांतपं. श्री मिश्र का कहना है कि किसी भी अनुष्ठान का प्रभाव महज यजमान (पूजक) पर ही नहीं पड़ता, इसका असर पूरे राष्ट्र व समाज पर भी पड़ता है.
इसलिए आयोजकों को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि खासकर सार्वजनिक पूजा समितियां शोभा यात्रा निकालने या फिर किसी अन्य कारणों से मुहूर्त का ख्याल नहीं रखते. यह गलत है.
कारण अगर विधि-विधानपूर्वक अनुष्ठान किया जाता है तो उसका फल पूरे समाज व राष्ट्र के लिए शुभदायक होता है. यदि इसका ध्यान नहीं रखा जाता है तो इसका विपरीत फल भी समाज व देश को भोगना पड़ता है.
इसका ध्यान सिर्फ कलश स्थापन में ही नहीं रखना चाहिए, बल्कि निशा पूजन, बिल्व निमंत्रण (बेलन्योति), बेलतोड़ी व विसर्जन में भी शुभ मुहुर्त्त का पालन करना आवश्यक है. उन्होंने इसके लिए पूजा समितियों से आग्रह भी किया.