मिलें शक्षिक, उपलब्ध हों संसाधन
मिलें शिक्षक, उपलब्ध हों संसाधन शिक्षा को भी चुनावी मुद्दा बनायें राजनीतिक दलपहली बार मतदान करनेवाले छात्र-छात्राओं की रायफोटो- 1 से 10 लगातारपरिचय- छात्र-छात्राओं की तस्वीरदरभंगा : छात्र-छात्राआंे की नजर में चुनाव का प्रमुख मुद्दा शिक्षा होना चाहिए. कारण यही समाज की दशा दिशा तय करती है. पहली बार मतदान का प्रयोग करने वाले युवाओं […]
मिलें शिक्षक, उपलब्ध हों संसाधन शिक्षा को भी चुनावी मुद्दा बनायें राजनीतिक दलपहली बार मतदान करनेवाले छात्र-छात्राओं की रायफोटो- 1 से 10 लगातारपरिचय- छात्र-छात्राओं की तस्वीरदरभंगा : छात्र-छात्राआंे की नजर में चुनाव का प्रमुख मुद्दा शिक्षा होना चाहिए. कारण यही समाज की दशा दिशा तय करती है. पहली बार मतदान का प्रयोग करने वाले युवाओं ने इसको लेकर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. प्रभात खबर की ओर से जब छात्र-छात्राओं से चुनाव को लेकर बात की गयी तो सभी ने एक स्वर से शिक्षा को भी प्रमुख चुनावी मुद्दा मेें शामिल करने की वकालत की. विद्यार्थियों ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को इसे अपनी चुनावी घोषणा पत्र में इस मुद्दे को प्रमुखता से शामिल करना चाहिए. इन्होंने कॉलेजों में शिक्षकों के टोटा को खत्म करने, तकनीकी आधारित शिक्षा का प्रबंध तथा संसाधान मुहैया कराने के लिए ठोस पहल करने की जरुरत जताते हुए कहा कि इसके लिए परिणामदायी पहल कदमी करनेवाले जनप्रतिनिधि की आवश्यकता है. शहर के कादिराबाद निवासी छात्र रितेश कुमार मिश्र ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जबतक राजनीतिक दलों की सोच इस दिशा मंे विकसित नही होगा तबतक इसक ा निदान संभव नहीं है. रेशमी कु मारी मथुरापुर की रहनेवाली है. बताया कि विद्यालय के साथ साघ्थ शिक्षक भी है पर पढाई नहीं होती. जबकि कॉलेजों में शिक्षक ों का घोर अभाव है. ऐसी स्थिति में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे होगी. वे व्यवस्था में सुधार की नितांत आवश्यकता जतायी. कबिलपुर के सुनील कुमार पासवान ने बताया कि शिक्षा की दुर्व्यवस्था केलिए सरकारको सोचना चाहिए. खासकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कोई ऐसा प्रयास नहीं हुआ जिसे स्मरण रखा जाये. केवटी विधानसभा क्षेत्र के भरुल्ली गांव निवासी सोनू कुमार का कहना है कि कॉलेजों में शिक्षक नहीं है जो पढाई कैसे हो. इसके लिए कौन जिम्मेवार है. के वल चुनाव में लोक लुभावन नारे से किसी दल का काम नहीं चलनेवाला है.शीशो की कविता कुमारी ने शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार करते हुए बताया कि एक भी परीक्षा ससमय नहीं लिया जाता है. कभी कभी तो नामांकन के एक माह के बाद परीक्षा प्रपत्र भरवा लिया जाता है. ऐसे में छात्र छात्राओं को क्या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी. यह स्वत: समझा जा सकता है. वहीं छात्र कृ ष्ण कुमार साह ने शिक्षा में गुणात्मक सुधार की आवश्यकता जताते हुए इसमें सुधार करनेवाले जनप्रतिनिधियों के चुनने की वकालत की शीशोडीह की छाया रुपा कुमारी ने बताया कि शिक्षा से जैसे किसी भी राजनीतिक दलो ंके प्रतिनिधियों को कु छ लेना देना नहीं रह गया है. वह इसकी कोई अहमियत नहीं देते. जबकि समाज के सुधार का मूलमंत्र शिक्षा ही है. इसके सुधार के संबंध में सोचने की आवश्यकता है.गौड़ाबौराम के मो. इकबाल रुमी ने सबकुछ ठीक कहते हुए उच्च शिक्षा के क्षेत्र मंे विफलता को उजागर करते हुए इसमें व्याप्त समस्या की ओर ध्याने देने की जरुरत बतायी.बिरौल के मो. फैयाज ने बिरौल को जिला बनाने के साथ साथ शिक्षा में सुधार की ओर इशारा किया. उन्होने कहा कि शिक्षा व्यवस्था जैसे ध्वस्त हो चुकी है. शीशोडीह के धर्मेंद्र कु मार कहते हैं कि शिक्षा मे ंगुणात्मक सुधार के लिए व्यवस्था परिवर्त्तन आवश्यक है. वहीं जो राजनीतिक दल शिक्षा मंें सुधार कर सके, प्रदेश में शैक्षणिक माहौल तैयार करें उसी को प्राथमिकता के आधार पर चुनाव करना बेहतर होगा.