दिखेंगे घने बादल, गरज के साथ होगी बूंदाबांदी
दिखेंगे घने बादल, गरज के साथ होगी बूंदाबांदी दरभंगा . राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से 28 अक्टूबर से 1 नवम्बर तक के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है कि आसमान में घने बादल दिखेंगे. इस दौरान गरज के साथ हल्की बूंदाबांदी […]
दिखेंगे घने बादल, गरज के साथ होगी बूंदाबांदी दरभंगा . राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से 28 अक्टूबर से 1 नवम्बर तक के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है कि आसमान में घने बादल दिखेंगे. इस दौरान गरज के साथ हल्की बूंदाबांदी भी हो सकती है. पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से अगले 29-30 अक्टूबर को गरज वाले बादल बनने के साथ हल्की वर्षा या बूंदा-बून्दी हो सकती है. तराई के कुछ क्षेत्रों में कहीं-कहीं तथा सारण, सिवान, गोपालगंज एवं मुजफ्फरपुर जिलों के पश्चिमी हिस्से में एक-दो स्थानों पर ओला पड़ने की संभावना है. इस अवधि में औसतन 4 से 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मुख्यत: पूरवा हवा चलने की संभावना है. कुछ स्थानों पर 30 अक्टूबर में पछिया हवा चल सकती है. सापेक्ष आर्द्रता सुबह में करीब 65 से 75 प्रतिशत तथा दोपहर में 55 से 60 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इस दौरान अधिकतम तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ 28-30 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान में 1-2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ 16 से 19 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है. दौनी व कटनी में बरतें सावधानीदरभंगा. किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में मौसम वैज्ञानिक ने कहा है कि मौसम में कहीं-कहीं हल्की वर्षा या बूंदाबांदी होने की संभावना को देखते हुए धान की कटनी तथा दौनी के कार्य में सावधानी बरतें. कटे हुए फसल को सुरक्षित स्थानों पर रखें या ढकने का उचित प्रबंध कर लें. रबी मक्का की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें. बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 50 किलो नेत्रजन, 75 किलो स्फुर तथा 50 किलो पोटाश का व्यवहार करें. आलू की कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी लालीमा, कुफरी ज्योति तथा राजेन्द्र आलू-2 आदि अनुशंसित किस्मों की बुआई करें. रोपनी के पहले आलू के कन्द को बैवस्टीन 0़01 प्रतिषत (1 से 1़5 ग्राम प्रति ली0) घोल में उपचारित कर लें. रबी प्याज की बुआई नर्सरी में करें. इसके लिए एग्रीफाउण्ड लाईट रेड, अर्का निकेतन, एन2-4-1, नासिक रेड, पूसा रेड एवं भीमाराज किस्में अनुसंसित है. बीज दर 8-10 किलो प्रति हेक्टेयर रखें. पौधशाला में क्यारियों की चौराई 1-1़5 मीटर एवं लंबाई अपने सुविधानुसार रख सकते है. मल्लिका(के-75), अरुण (पीएल 77-12), केएलएस- 218, एचयूएल- 57, पीएल-5 किस्मो की बुआई करें. बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुआई करें. छोटे दाने की प्रजाति के लिए 30-35 एवं बडे़ दाने के लिए 40-45 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर एवं बुआई की दुरी पंक्ति से पंक्ति 30 से0मी0 रखें. बुआई से पहले खेतों में 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम फॉसफोरस, 20 किलोग्राम पोटास एवं 20 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करें. मटर की बुआई करें. रचना, मालवीय मटर-15, अपर्णा, हरभजन, पूसा प्रभात किस्में मटर की अनुसंसित है. बुआई से पहले खेतों में 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम फॉसफोरस, 20 किलोग्राम पोटास एवं 20 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करें. बुआई के पूर्व बीज उचित राइजोबियम कल्चर से उपचारित करे. बीज दर 75-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें. तोरी की बुआई अतिशीघ्र संमपन्न करें. सब्जियों में निकाई-गुड़ाई करें.