दरभंगाः आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े लोगों की हाल के वर्षो में जितनी भी गिरफ्तारी हुई है तथा उनके पास से जितने सिम बरामद हुए थे, वे सभी फर्जी नाम के थे. ऐसे फर्जी नाम गलत वोटर आइडी बनाने वालों की मिलीभगत से ही बनाये जा रहे हैं. शहर में फर्जी वोटर आइडी बनाने का गिरोह विगत तीन-चार वर्षो से यहां काम कर रहा है. वर्ष 2010 के मतदाता सूची के साफ्टवेयर से तत्कालीन वेंडर के कर्मियों ने फिल्ड यूनिट (एफयू) रख लिया. जबकि नियमानुसार मतदाता सूची के प्रकाशन एवं इपिक बनाने संबंधी कार्य पूरा होने के बाद एफयू को निर्वाचन कार्यालय में वापस करना है.
साफ्टवेयर का क्रश कर हो रहा दुरुपयोग
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिन लोगों ने साफ्टवेयर चुरा रखा है, वे उसे क्रश कर पुराने वोटर आइडी पर तस्वीर बदलने से लेकर उम्र में भी हेराफेरी करते हैं. रेलवे ने 62 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यात्र में 25 फीसदी रियायत की घोषणा की है. इसका लाभ लेने के लिए लोग वोटर आइडी में नाम बढ़ाने का काम ऐसे लोगों से कराते हैं. इसके अलावा पासपोर्ट बनाने, सामाजिक सुरक्षा पेंशन से जुड़े लोग भी ऐसे इपिक बना रहे हैं. सूत्रों के अनुसार वार्ड नंबर 21 की पार्षद मधुबाला सिन्हा ने पासपोर्ट सत्यापन के दौरान नगर थाना से भेजे गये ऐसे तीन इपिकों पर अपनी असहमति जताकर उसे वापस कर दिया. पार्षद के पास मतदाता सूची में जो नाम था, उसके अनुसार इपिक नहीं था. थानाध्यक्ष हरिशंकर मिश्र ने इसके बाद पासपोर्ट संबंधी मामले में दबिश तेज कर दी है.
बीएलओ व निर्वाचन कार्यालय भी जिम्मेवार
निर्वाचन आयोग की दबिश पर निर्वाचन कार्यालय मतदाता जागरूकता से लेकर कई अभियान चला रहा है. लेकिन बीएलओ से लेकर निर्वाचन कार्यालय की गलती का खामियाजा मतदाता भुगत रहे हैं. जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 में कोलकाता के जिन वेंडरों को इपिक बनाने की जिम्मेवारी मिली थी, वे मतदाता सूची में फोटो डालकर इपिक संख्या अंकित कर दी. इनमें से अधिकांश मतदाताओं को फोटो मिला नहीं, लेकिन वेंडर ने फर्जी हस्ताक्षर व अंगूठा निशान संबंधी प्रपत्र जमाकर विपत्र का भुगतान ले लिया.
जानकारी के अनुसार शहरी विधानसभा क्षेत्र 83 के भाग संख्या 120 के क्रम संख्या 130 में वीणा झा, क्रम संख्या 131 में ब्रजेश कुमार के नाम से इपिक जारी कर दिया गया है, लेकिन अब तक इनलोगों को इपिक नहीं मिला है. स्थानीय बीएलओ नेभी बीडीओ के नाम अनुशंसित पत्र में इसे स्वीकार किया है. जाले के बीडीओ ने भीआरओ सह नगर आयुक्त परमेश्वर राम को पिछले सप्ताह भेजे पत्र में ऐसी शिकायत की थी कि आधा दर्जन पंचायतों के करीब एक हजार से अधिक मतदाताओं के वोटर आइडी उन्हें अब तक प्राप्त नहीं हुए हैं. जबकि वहां के बीएलओ लगातार इसकी शिकायत करते हैं. ऐसे लोग भी फर्जी वोटर आइडी बनाने वालों के संपर्क में जाकर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत काम करवाते हैं.
दो बार राशि जमा करने पर भी नाम में सुधार नहीं
पूर्व मेयर अजय कुमार जालान की पत्नी संतोष देवी जालान के वोटर आइडी में पति कॉलम में अरुण कुमार जालान है. इपिक में सुधार के लिए श्रीमती जालान दो बार 20 रुपये का एनआर कटवाया. इसके बाद भी अब तक उनके नाम में संशोधन नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि गत वर्ष राज्य निर्वाचन आयोग में इसकी शिकायत करने पर उनका नामांकन निगम पार्षद के लिए हुआ. इसके बाद पुन: नाम सुधार के लिए उन्होंने आवेदन देकर एनआर रसीद कटवाया, लेकिन अबतक नाम सुधार नहीं हो सका है. इस बीच डीएम कुमार रवि ने फर्जी वोटर आइडी बनाने वाले गैंग की जानकारी मिलने पर तत्कालीन प्रभारी एसएसपी दिलनवाज अहमद को इस पर कार्रवाई करने को कहा. प्रभारी एसएसपी ने इसमें बिना स्थानीय पुलिस के सहयोग से एक सिपाही को सिविल ड्रेस में इपिक बनाने को भेजा. तीन सौ रुपये लेकर उस टीम ने उसे इपिक भी बना दिया. इसी दौरान एसएसपी के नेतृत्व में की गयी छापामारी में भारी मात्र में फर्जी इपिक, नकली मोटर के साथ दो को गिरफ्तार किया गया. यदि पुलिस इसकी गहराई से जांच करें तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आने की उम्मीद है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस बाबत पूछे जाने पर उप निर्वाचन अधिकारी संजय कुमार मिश्र ने बताया कि इपिक बनाने के दौरान वेंडर को जो साफ्टवेयर एवं एफयू दिये जाते हैं, उसे काम समाप्ति के बाद वापस ले लिया जाता है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों का इपिक नहीं मिला है, या नाम में सुधार नहीं हुआ है, ऐसी शिकायतों पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जायेगा. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग शत-प्रतिशत फोटोयुक्त मतदाता सूची बनाने का निर्णय ले चुका है.