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जातीय समीकरण से राजद हुआ, जदयू ने लगायी भाजपा के वोट बैंक में सेंध

जातीय समीकरण से राजद हुआ, जदयू ने लगायी भाजपा के वोट बैंक में सेंध महागंठबंधन के दोनों दल का कायम रहा तालमेलउपेक्षा के अफवाह से भाजपा को अगरी जाति में टूट का हुआ नुकसानदरभंगा. विधानसभा चुनाव में महागंठबंधन को मिली शानदार जीत ने यहां जातिगत समीकरण को ध्वस्त कर दिया. अपेक्षा से कहीं अधिक अंतर […]

जातीय समीकरण से राजद हुआ, जदयू ने लगायी भाजपा के वोट बैंक में सेंध महागंठबंधन के दोनों दल का कायम रहा तालमेलउपेक्षा के अफवाह से भाजपा को अगरी जाति में टूट का हुआ नुकसानदरभंगा. विधानसभा चुनाव में महागंठबंधन को मिली शानदार जीत ने यहां जातिगत समीकरण को ध्वस्त कर दिया. अपेक्षा से कहीं अधिक अंतर से मिली जीत व उम्मीद के विपरीत राजग को मिली करारी शिकस्त ने इसके पूरे संकेत दे दिये. इस चुनाव में महागंठबंधन को सभी जगह समर्थन मिला. चुनाव के दौरान जो जातिगत समीकरण बने थे उसे जनता ने पूरी तरह नकार दिया. यही कारण रहा कि इस बार का परिणाम चौंकाने वाला रहा. मतदान के बाद मिले फीड बैक के आधार पर अधिकांश सीटों पर कांटे की टक्कर होने के आसार बन रहे थे. पलड़ा किस की ओर झुकेगा, यह कोई भी विश्वास के साथ नहीं कह पा रहा था. इस बीच मतगणना के बाद जो परिणाम आया, उसे देख सभी चौंक गये. सभी समीकरण को ध्वस्त करते हुए जिले के वोटरों ने रिकार्ड मतों से अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए विधानसभा का टिकट थमा दिया. एनडीए का जातिगत समीकरण हुआ फेल विधानसभा पर एक-एक कर गौर करें तो जातिगत समीकरण सभी जगह टूटता नजर आया. शहर को भाजपा का गढ़ माना जाता है. यहां का समीकरण जाति से हटकर भी है. वैसे यहां ब्राह्मण , वैश्य के साथ अगरी जाति के तमाम मतदाता के साथ ही पिछड़ी जाति से भी यहां बीजेपी को समर्थन मिलता रहा है. एक यह भी कारण है कि महागंठबंधन के पक्ष में बही सुनामी के बावजूद भाजपा के संजय सरावगी यहां से जीत का चौका लगाने में कामयाब रहे. वैसे इसमें इनकी अपनी छवि, विकास कार्य व व्यवहार कुशलता का भी बड़ा योगदान रहा. हायाघाट अगरी जाति बहुल क्षेत्र है. ब्राह्मण बहुल इस क्षेत्र में जिस तरह 33 हजार से अधिक मतों से जदयू के अमरनाथ गामी को जीत मिली, उससे यह स्पष्ट हो गया कि जदयू ने भाजपा के परंपरागत वोट बैंक व जातिगत समीकरण को अपने पक्ष में कर लिया. कमोबेश इसी समीकरण वाले बेनीपुर में भी परिणाम आया. पहली बार चुनावी मैदान में यहां से उतरे सुनील चौधरी ने भाजपा के सीटिंग उम्मीदवार गोपालजी ठाकुर को पराजित कर दिया. अलीनगर में माय समीकरण प्रभावी रहा है. इनकी बहुलता है. इसके अतिरिक्त ब्राह्मण वोटरों को भी निर्णायक भूमिका में माना जाता है. राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को ब्राह्मणों का साथ मिलता रहा है. भाजपा ने इस बार इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए यहां से मिश्री लाल यादव को मैदान में उतारा, लेकिन यह तीर लक्ष्य नहीं साध सका. गौराबौराम में इसी टूट के कारण जदयू प्रत्याशी मदन सहनी को इतनी जोरदार जीत मिली. बहादुरपुर विस क्षेत्र में ब्राह्मण व सहनी मतदाताओं की संख्या निर्णायक है. यहां यादव व पिछड़ों की संख्या भी काफी है. भाजपा ने हरि सहनी को यहां से टिकट देकर गेम खेला, लेकिन गेम हाथ से पूरी तरह निकल गया. जाले में भी यह समीकरण टूट गया. यहां की स्थानीय राजनीति के कारण भाजपा के जीवेश कुमार को सबका साथ मिला. हालांकि राजद का वोट यहां भी नहीं टूटा, लेकिन अन्य क्षेत्र की तरह जदयू प्रत्याशी भाजपा की वोट में सेंध नहीं लगा सके. उल्टे उनका अपना पुराना वोट बैंक भी दरक गया, जिसका लाभ जीवेश मिश्र को मिला. कुशेश्वरस्थान (सु) सीट पर भी राजग का वोट बैंक पूरी तरह बिखरता दिखा. वैसे यहां ऊपर से टपका दिये गये लोजपा प्रत्याशी का भी नुकसान गंठबंधन को झेलना पड़ा. केवटी में भाजपा के अशोक यादव पार्टी के परंपरागत वोट के साथ ही अपने जातिगत मतों के सहारे जीतते रहे. इस बार उनका पूरा साथ नहीं मिल सका. नतीजा उनकी हार के रूप में सामने आया. कुल मिलाकर देखा जाये तो इस चुनाव में यहां राजद पूरी तरह अपने माय समीकरण को कायम रखने में जहां सफल रहा, वहीं जदयू ने अपने वोट को बरकरार रखने के साथ ही राजग के वोट बैंक में सेंधमारी कर दी. यही कारण रहा कि भाजपा के गढ़ के रूप में स्थापित हो रहे इस क्षेत्र में फिर से महागंठबंधन का परचम लहरा गया.

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