दीपावली: ग्राहकों से गुलजार रहा बाजार

दीपावली: ग्राहकों से गुलजार रहा बाजार रूपये की निकासी को बैंकों में लगी रही भीड़सनई-संठी खरीदने के लिए भटकते रहे लोग कमतौल . दीपावली को लेकर लोगों में गजब का उत्साह दिख रहा है़ रूपये की निकासी के लिए जहा बैंकों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी, वहीं सामान खरीदने के लिए बाजार में पुरूष-महिलाओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2015 6:50 PM

दीपावली: ग्राहकों से गुलजार रहा बाजार रूपये की निकासी को बैंकों में लगी रही भीड़सनई-संठी खरीदने के लिए भटकते रहे लोग कमतौल . दीपावली को लेकर लोगों में गजब का उत्साह दिख रहा है़ रूपये की निकासी के लिए जहा बैंकों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी, वहीं सामान खरीदने के लिए बाजार में पुरूष-महिलाओं की लगी रही़ मंगलवार को कमतौल भगत सिंह चौक के समीप स्टेट बैंक अफ इण्डिया शाखा में मुख्य द्वार के बाहर तक लोग कतार में नजर आये़ उसरा के ब्रिज लाल सहनी ने बताया कि बड़ी मशक्कत से निकासी संभव हुई है़ धक्कम-धुक्की से चश्मा टूट गया़ इधर दीपावली को लेकर घर-मकान एवं दुकान, बाड़ी-झाड़ी, यहां तक की गली कूचे तक की साफ-सफाई कर दी गयी. पूरे दिन लोग इसी में लगे रहे. अपनी क्रय क्षमता के मुताबिक सभी आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करने के लिए देर शाम तक बाजार पहुंचते रहे़ इस कारण बाजार में तिल रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी़ लोग एक-दूसरे को पीछे कर सामान खरीदना चाह रहे थे़ लेकिन बच्चों की मनपसंद पटाखों की खरीद से वे मुंह फेर रहे थे़ शालिग्राम ठाकुर ने बताया कि यूं तो सभी सामानों के दाम आसमान छू रहे हैं, परन्तु परंपरागत रस्म-रिवाज के लिए आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के बाद ही बच्चों की फरमाइस पर ध्यान दिया जायेगा़ पटाखे की कीमत सुनकर तारे नजर आने लगे हैं. वापसी के क्रम में कुछ खरीद लेंगे़ इधर सूप पीटने के काम आने वाले संठी के लिए लोग इधर से उधर भटकते रहे़ दिन के एक बजे एक व्यापारी माथे पर संठी का बोझा लिए स्टेशन की ओर से आते दिखे़ रेलवे गुमटी पर ही लोगों ने उसे घेर लिया. देखते ही देखते दो से पांच रूपये प्रति पीस के हिसाब से पूरी संठी बिक गयी़ चहुंटा के रत्नेश ने बताया, सुबह से ही संठी की तलाश में थे़ उक्का बनाने के लिए संठी की आवश्यकता होती है़ बाद में उसी से दरिद्रता भगाने के लिए सूप पीटा जाता है़ बाजार में भीड़ के चलते जाना नहीं चाह रहे थे़ आखिर रस्म तो निभानी ही पड़ेगी़

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