सामा-चकेबा का सज गया बाजार
सामा-चकेबा का सज गया बाजार 18 से शुरू होगा भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्वफोटो संख्या- 10परिचय- मौलागंज में बनकर तैयार सामा-चकेबा की मूर्ति. दरभंगा. भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक लोकपर्व सामा-चकेबा 18 नवंबर से शुरू होगा. बहनें इसी दिन सामा का स्पर्श करेंगी. इसके साथ ही भाई के दीर्घायु जीवन के साथ […]
सामा-चकेबा का सज गया बाजार 18 से शुरू होगा भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्वफोटो संख्या- 10परिचय- मौलागंज में बनकर तैयार सामा-चकेबा की मूर्ति. दरभंगा. भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक लोकपर्व सामा-चकेबा 18 नवंबर से शुरू होगा. बहनें इसी दिन सामा का स्पर्श करेंगी. इसके साथ ही भाई के दीर्घायु जीवन के साथ ही धन-वैभव संपन्नता की कामना के साथ सामा खेलेंगी. इसको लेकर मूर्ति का बाजार सज गया है. मौलागंज, वाजितपुर, राज चहारदीवारी, हसनचक सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में मूर्ति तैयार कर दुकान के सामने मूर्तिकारों ने सजा दी है. उल्लेखनीय है कि आमतौर पर बहनें भाई के लिए व्रत रखती हैं. उनकी लंबी उम्र तथा किसी अनहोनी से सुरक्षा के लिए त्योहार मनाते हैं. लेकिन मिथिला क्षेत्र का संभवत: यह पर्व अनूठा है, जिसके मूल में भाई द्वारा बहन के कल्याण व उद्धार का संदर्भ जुड़ा है. महाभारत काल अर्थात द्वापर युग से इस प्रसंग का जुड़ाव है. इसे आधुनिक दृष्टि से पक्षी संरक्षण का प्रतीक पर्व भी माना जाता है. कहा जाता है कि चुगला की करतूत की वजह से भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पुत्री श्यामा को वन में विचरण के लिए पक्षी बन जाने का शाप दे दिया था. भाई चकबा को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने काफी यत्न से अपनी बहन का उद्धार कराया. इसी के बाद से यह लोकपर्व में सम्मिलित हो गया. तब से आजतक मिथिला में इसे बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस पर्व की विशेष गायन शैली इस क्षेत्र को अलग पहचान दिलाती है.