शोभा यात्रा के साथ आरंभ हुआ त्रिदिवसीय मिथिला विभूति पर्व
शोभा यात्रा के साथ आरंभ हुआ त्रिदिवसीय मिथिला विभूति पर्व जगह-जगह लगी विभूतियों की मूर्त्ति पर किया गया माल्यार्पणफोटो. 1परिचय. महाकवि विद्यापति की मूर्त्ति पर माल्यार्पण करने के बाद लनामिवि कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा, विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा. बैद्यनाथ चौधरी, पूर्व एमएलसी डा. बिनोद कुमार चौधरी व अन्यदरभंगा . कवि कोकिल महाकवि विद्यापति […]
शोभा यात्रा के साथ आरंभ हुआ त्रिदिवसीय मिथिला विभूति पर्व जगह-जगह लगी विभूतियों की मूर्त्ति पर किया गया माल्यार्पणफोटो. 1परिचय. महाकवि विद्यापति की मूर्त्ति पर माल्यार्पण करने के बाद लनामिवि कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा, विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा. बैद्यनाथ चौधरी, पूर्व एमएलसी डा. बिनोद कुमार चौधरी व अन्यदरभंगा . कवि कोकिल महाकवि विद्यापति के अवसान दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जानेवाला त्रिदिवसीय मिथिला विभूति पर्व समारोह शोभा यात्रा के साथ सोमवार को आरंभ हो गया. विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा. बैद्यनाथ चौधरी की अगुआई में मिथिला के सम्मान में शामिल व पहचान में शुमार पाग पहन मैथिलीसेवियों ने शोभा यात्रा निकाली. इसकी शुरूआत कवि कोकिल की मूर्त्ति पर माल्यार्पण के साथ हुई. आगे-आगे बैनरे लेकर दो लोग चल रहे थे. इनके पीछे दर्जनों की संख्या में मिथिला-मैथिली समर्थक चल रहे थे. सभी के सिर पर शोभ रहे पाग दूर से ही नजर आ रहे थे. विद्यापति की मूर्त्ति के पश्चात आचार्य सुरेंद्र झा सुमन, भोगेंद्र झा, बैद्यनाथ मिश्र यात्री, ललित नारायण मिश्र, डा. भीमराव अम्बेदकर, महात्मा गांधी, चौरंगी व इसके पूर्व दिशा में अवस्थित दरभंगा राज को दो महराज की मूर्त्तियों पर भी माल्यार्पण किया गया. इस क्रम में श्यामा मंदिर व माधवेश्वर शिवालय में पुष्पांजलि अर्पित की गयी. इसके बाद शोभा यात्रा वापस आरंभ स्थल लौटी. इसमें पूर्व एमएलसी डा. बिनोद कुमार चौधरी, पवन कुमार मिश्र, जय किशोर चौधरी, डा. उदयकांत झा समेत दर्जनों शामिल थे. इस क्रम में क्षेत्रीय गान के रूप में स्थापित हो रहे गोसाउनिक गीत ‘जय-जय भैरवि असुर भयाओनि’ का गायन भी चलता रहा. इधर पिछले साल वर्ष 2014 में त्रिदिवसीय पर्व में जुड़ी शोभा यात्रा दूसरे ही साल में सिमटती नजर आयी. सनद रहे कि गत साल इस यात्रा के साथ सभी धर्म-संप्रदाय के मान बिंदुओं को नमन कर उन्हें इस आयोजन में परंपरानुरूप न्यौता भी दिया गया. इसमें मंदिर, गुरूद्वारा, मसजिद, मजार आदि के साथ ही चौक-चौराहों पर लगी अन्य विभूतियों की मूर्त्तियों पर भी माल्यार्पण किया गया था. अलग-अलग टोली में साहित्यकार, कलाकार, आंदोलनी आदि इसमें शामिल थे. इस बहाने मिथिला क्षेत्र में रहनेवाले सभी जाति-धर्म के लोगों को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश थी, लेकिन दूसरे आयोजन में ही यह कड़ी टूटती नजर आयी.