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By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2015 9:32 PM

\\\\टं३३ी१त्र/ू/र10 हजार शिक्षक जांच के दायरे में \\\\टं३३ी१त्र/रफर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई से हड़कंपमामला नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की निगरानी जांच कादरभंगा : फर्जी प्रमाण पत्रों पर नियोजित शिक्षकों पर विभागीय कार्रवाई तेज होने के साथ ही जिला में सरगर्मी बढ गयी है. पहले इसे लंबी प्रक्रिया समझ इस पर टालमटोल की नीति अपनायी जा रही थी, किं तु विभाग के उच्च प्राथमिकता का विषय होने के कारण अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने वाले नियोजन इकाईयोंपर भी कार्रवाई शुरु हो गयी है. हालांकि अबतक किसी नियोजन इकाई पर कठोर कार्रवाई नहीं किया गया है. किंतु अगर स्थिति ऐसी ही रही तो इनपर भी प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार नहीं किया जा सकता. वहीं प्लस टू विद्यालय ाएवं माध्यमिक विद्यालयों मेंफर्जी प्रमाण पत्र पर नियोजित शिक्षकोंपर कार्रवाई शुरु होने क ेकारण अन्य नियेाजन इकाईयों में इसतरह के प्रमाण पत्रों पर बहाल शिक्षक ों में दिन का चैन एवं रात की नींद छीन लिया है. ये तो इस जिला की खुशनसीबी है कि इसबार प्रदेश स्तर पर चिह्नित 127 फर्जी शिक्षक में से जिला का कोई शिक्षक शामिल नहीं है. कि ंतु जब जांच का दायरा पंचायत नियेाजन तक बढेगा, तो इसमे अप्रत्याशित बढोत्तरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.10 हजार शिक्षक ों की हो रही जांचजिले के प्लस टू , माध्यमिक, मध्य, प्राथमिक विद्यालय के दस हजार शिक्षक व लाइब्र्रेरियन इस जांच के दायरे मे है, जिससे से ज्यादा संख्या प्रख्ंाड एंव पंचायत नियोजन इकाई के शिक्षकों का है. जिसके प्रमाण पत्रों को निगरानी विभाग को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया चल ही रही है. 89 कर चुके पदत्यागहाईकोर्ट के आदेश के आलोक में स्वेच्छा से पदत्याग करनेवाले शिक्षको ं को कोई भी कानूनी कार्रवाई से छूट मिलने के कारण जिला में 89 शिक्षक ों ने पदत्याग किया था. इसमें विभिन्न कोटि के शिक्षक शामिल थे. इसमें विभाग से दो बार मौका मिला था. पहली बार मेें मात्र 26 शिक्षक ों ने पदत्याग किया था, लेकिन इसके अवधि का विस्तार होने पर इसकी संख्या 89 तक पहंंुच गयी.एक पर हुई प्राथमिकीदो माह पूर्व ही प्लस टू विद्यालय के फर्जी प्रमाण पत्र पाये जाने के कारण एक शिक्षक पर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिये गये थे. विभाग के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रि या अपनायी गयी है. इस शिक्षक का प्रमाण पत्र निगरानी जांच में फर्जी पाया गया था.पंचायत नियोजन इकाई फिसड्डीअबतक प्रमाण पत्रों को उपलब्ध कराने में प्लस टू एवं माध्यमिक विद्यालय आगे रहा है. जिसकी जांच भी पूरी हो चुकी है. सबसे बड़ा हाल पंचायत नियोजन इकाई का है. जहां से अभिलेख प्राप्त करेन में शिक्षाधिकारियों को पसीने छूट रहे है. बार बार स्मारित करने के बावजूद इनके कानों पर जूं रेंगता नहंीं दिख रहा है. हालांकि एक समय ऐसा था कि बहादुरपुर के क ई पंचायत सचिवों पर कार्रवाई के लिए पंचायती राज विभाग को भी लिखा गया था.क्या कहते हैं अधिकारी स्थापना शाखा के डीपीओ दिनेश साफी कहते हैं कि नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर निगरानी विभाग कर रही है. यह विभाग के उच्च प्राथमिकता के विषय में शामिल है. इसमें टालमटोल की नीति नहीं चलेगी. जो नियोजन इकाई अभिलेख उपलब्ध नहीं करायेगे. उन्हें दो तीन बार स्मारित करने के बाद अनुशासनिक एवं कानूनी कार्रवाई करने के लिए सक्षम प्राधिकार को लिखा जायेगा. नहीं उपलब्ध कराया जा रहा अभिलेखपंचायत शिक्षक नियेाजन का हालदरभंगा : विभाग की सख्ती के बावजूद शिक्षक नियोजन की निगरानी जांच में पंचायतों से अभिलेख उपलब्ध नहंीं कराये जा रहे हैं. जिसके कारण पंचायत नियोजन इकाईयों से संबंधित िार्श्क्षक ों के प्रमाण पत्रोें की जांच मंे देरी होने की संभावना है. जहां एक ओर उच्च माध्यमिक जांच मंे देरी होने की संभावना है. शिक्षकोें के प्रमाण पत्रों की जांच प्राय: पूरी हो चुकी है तथा इसपर कार्रवाई भी शुरु हो गयीहै. वहंींे दूसरी ओर माध्यमिक एंव मध्य विद्यालयों मे पदस्थापित शिक्षक नियोजन के अभिलेख निगरानी विभागको उपलब्ध कराया जा रहा है. जबकि पंचायत नियोजन इकाईयों के शिथिलता के वजह से ऐसी स्थिति बनी हुई है. सदर बीइओ देवशरण राउत भी स्वीकार क र रहे हैं. कि बार बार स्मारित करने के बावजूद सभी पंचायतों से अभिलेख नहीं उपलब्ध कराया गया है. इनका अभिलेख विभाग को हस्तगत नहीं कराया जा पा रहा है. जबकि बताया जा रहा है कि अधिकांश गड़बड़ी पंचायतोें मे ही हुई है. जिसपर सबो की निगाह टिकी हुई है. वर्ष 2006 सेही बहाल शिक्षकों की हो रही निगरानी जांचपूर्व के सभी शिक्षा मित्र को वर्ष 2006 के नियमावली सके पंचायत शिक्षका का दर्जा मिला. इस नियमावली से बहाल एवं इसक ेपूर्व तथा इसके बाद के नियमावली से बहाल सभी नियेाजित शिक्षक जांच के दायरे में हैं.वर्ष 94 में बहाल शिक्षकोंे की भी हुई थी जांचऐसा नहीं है कि इस तरह की जांच इसबार हो रही है. इसके पूर्व भी वर्ष 94 में बीपीएससी से बहाल शिक्षक ों के प्रमाण पत्रों की भी सामूहिक जांच की गयी थी. पंचायतों के अभिलेख में लोचापंचायत शिक्षकेां के प्रमाण पत्रों को उपलब्ध कराने मेंे पंचायत सचिवों को पसीने छूट रहे हैं. इसके पीछे मुुख्य कारण सभी अभिलेखों का कार्यालय में उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है. जो शिक्षक जिन मुखिया व पंचायत समिति के काल में बहाल हुए उनमे किसी तरह का फर्जीवाड़ा हुआ तो वे इसका अभिलेख साक्ष्य में कार्यालय में नहीं छोड़ा. जिसके कारण भी अभिलेख नहींमिल पा रहा है. इस संबंध में बताया जा रहा है कि नियोजन इकाई का अध्यक्ष होने के नाते संबंधित गं्राम पंचायत के मुखिया का नियोजन में दबदबा रहा. जब उनका कार्यक्रम पूरा हुआ अथवा पंचायत चुनाव में हार हुई तो अपने अवधि के फंसने वाले अभिलेख को लेकर चलते बने. आज जब इसकीजांच की बात आयी तो अभिलेख मिल नहीं रहा है. वहीं जहां अभी भी पुराना टीम है वहां अगर गड़बड़ी हुई है तो इसमें टालमटोल की नीति अपनायी जा रही है. यही वजह कि विभाग को प्रमाण पत्र उपलब्ध नहंंी कराया जा रहा है.

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