दौड़ लगाकर थक गये, बिजली के नहीं हुए दर्शन
दरभंगाः कई ऐसे गांव हैं, जो आज भी ढिबरी युग में जीने को विवश हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री बिजली नहीं तो वोट नहीं का दावा करते हैं तो दूसरी ओर हजारों की आबादी आज भी बिजली की रोशनी से कोसों दूर है. कहीं तार लटकाकर छोड़ दिये गये तो कहीं खंभा खड़ा मुंह चिढ़ा रहा […]
दरभंगाः कई ऐसे गांव हैं, जो आज भी ढिबरी युग में जीने को विवश हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री बिजली नहीं तो वोट नहीं का दावा करते हैं तो दूसरी ओर हजारों की आबादी आज भी बिजली की रोशनी से कोसों दूर है. कहीं तार लटकाकर छोड़ दिये गये तो कहीं खंभा खड़ा मुंह चिढ़ा रहा है. विभाग की अपनी मजबूरियां हैं. जनप्रतिनिधि भी कोरी घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे.
प्रभात खबर की ओर से की गयी इस पहल में उपभोक्ताओं ने जिस तरह से अपनी समस्या तथा पीड़ा रखी, उसमें आक्रोश की झलक भी नजर आयी. जाले प्रखंड के मस्सा पंचायत के मिर्जापुर नवटोल एक ऐसा गांव है जहां आजादी के बाद आजतक बिजली नहीं पहुंच सकी. रामजी ठाकुर कहते हैं कि गांव में जेनेरेटर से ही बल्ब जलते हमलोग देखते हैं. कुशेश्वरस्थान बाजार के सुरेश कुमार अग्रवाल के अनुसार फरवरी से यहां बिजली की समस्या है. हनुमाननगर के देवचंद्र सिंह बताते हैं कि कमिश्नरी से महज 12 किलोमीटर दूर अवस्थित यह गांव आजादी के बाद से आज तक बिजली के लिए मोहताज है.
तारसराय मुरिया के मनोज कुमार ने भी अपनी पीड़ा के साथ आक्रोश का इजहार किया. हनुमाननगर के छोटकी डीलाही से मो मुकर्रम आलम ने बताया कि बिजली आपूर्ति के लिए कई बार पदाधिकारियों से गुहार लगायी, लेकिन नतीजा सिफर रहा. जिला से सटे राजनगर के डॉ प्रेम कुमार झा ने बताया कि वर्ष 2007 में पोल गाड़ा गया. नौ साल पहले उपभोक्ताओं ने आवेदन दिया. इसके आगे आज तक कुछ नहीं हो सका. अरेर बुधवन के शिवम कुमार झा का कहना था कि सीएम ने भी बिजली आपूर्ति का आश्वासन दिया था जो आजतक हवा में ही है. बिरौल के अरगा उसरी पंचायत के अभिषेक कुमार ने भी वर्षो से बिजली आपूर्ति नहीं होने की बात बतायी. यहां साल भर से ट्रांसफॉर्मर जला पड़ा है. बिरौल पासवान टोला के गोपाल मिश्र के मुताबिक एनएचपीसी से पोल व तार वर्षो पूर्व लगा दिये गये, लेकिन बिजली की आपूर्ति आज तक नहीं की गयी. अलीनगर प्रखंड के शंकरपुर गांव में चार दशक से बिजली आपूर्ति नहीं होने की जानकारी नंदकिशोर झा ने दी.
उन्होंने कहा कि 1987 में बाढ़ के दौरान पोल क्षतिग्रस्त हो गया. 2010 में बांस के सहारे बिजली के तार लटकाये गये. कई बार विभाग को लिखा गया लेकिन कोई फायदा नहीं हो सका.