दरभंगाः लनामिवि के ऐतिहासिक डॉ नागेंद्र झा स्टेडियम में शनिवार को पूर्वाचल की सांस्कृतिक छटा जीवंत हो उठी. युवा महोत्सव में सम्मिलित पूर्वी क्षेत्र के 14 विश्वविद्यालयों ने अपने क्षेत्र की संस्कृति व वेश-भूषा तथा परंपरा का प्रदर्शन कर खूब तालियां बटोरी. संयोजक लनामिवि ने अपनी झांकी के माध्यम से प्रदेश की विरासत के साथ ही लोक-संस्कृति, परंपरा व लोकपर्व की जीवंत प्रस्तुति दी.
उद्घाटन समारोह में इस झांकी की अगुवायी बीएचयू की टोली कर रही थी. प्रदूषित हो रही आस्था की प्रतीक गंगा के बचाव का संदेश छात्र-छात्रएं इसके माध्यम से दे रही थी. दिन दयाल उपाध्याय विवि, गोरखपुर के विद्यार्थियों ने अपने क्षेत्र की वेश-भूषा का परिचय दिया. मणिपुर सेंट्रल विवि की टोली ने सांस्कृतिक झलक दिखाये तो रवींद्र भारती ने वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चोट किया. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ने कृषि के विकास के संदेश को बुलंद किया. वहीं विद्यासागर व विश्वभारती शांतिनिकेतन ने शालीनता का संदेश दिया. असम विवि की टोली ने पारंपरिक वेश-भूषा में वाद्य यंत्रों के साथ झांकी निकाली तो मणिपुर के विद्यार्थियों ने शंख, मृदंग के साथ परियों की झलक दर्शकों को दिखायी. रांची विवि के बच्चों ने युवाओं की एकता का परिचय दिया तो गुवाहाटी विवि की टोली ने अपने क्षेत्र की संस्कृति का प्रदर्शन किया. विद्याचंद्र एग्रीकल्चर विवि ने दुर्गा की झांकी निकाली. रंग, अबीर उड़ाते विद्यार्थियों की टोली चल रही थी. कल्याणी विवि के बाद अंतिम झांकी के रूप में लनामिवि की टोली निकली.
इस झांकी में पूरे प्रदेश की विरासत का जीवंत प्रदर्शन किया गया. साहित्यिक विरासत के रूप में रामधारी सिंह दिनकर व अंतरराष्ट्रीय स्तर के शास्त्रीय संगीतज्ञ स्व रामचतुर मल्लिक का चित्र थाम रखी थी तो विश्व धरोहर नालंदा विवि के कटआउट का प्रदर्शन कर रहे थे. बोधि वृक्ष के नीचे बैठे महात्मा बुद्ध के संदेश को बांटा.वहीं मिथिला की पहचान में शुमार पान-मखान व मछली के संरक्षण का संदेश दिया. अंत में जगत जननी जानकी के रूप में रथ पर सवार छात्र व छात्र पहुंची. इसके साथ झांकियों का समापन हुआ. शिक्षा मंत्री के साथ मंच पर उपस्थित अन्य अतिथि इसका अवलोकन करते रहे.