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पद सृजन नहीं होने से अनुदान से वंचित हैं कॉलेज शक्षिक

पद सृजन नहीं होने से अनुदान से वंचित हैं कॉलेज शिक्षक मामला अयाची महिला महाविद्यालय बेनीपुर का सरकार ने वर्ष 1996 से ही लगा रखी है रोक बेनीपुर. पद सृजन नहीं होने के कारण पिछले 10 वर्षों से अयाची महिला महाविद्यालय बेनीपुर के शिक्षकों को अनुदान से वंचित होना पड़ रहा है. हालांकि इस तरह […]

पद सृजन नहीं होने से अनुदान से वंचित हैं कॉलेज शिक्षक मामला अयाची महिला महाविद्यालय बेनीपुर का सरकार ने वर्ष 1996 से ही लगा रखी है रोक बेनीपुर. पद सृजन नहीं होने के कारण पिछले 10 वर्षों से अयाची महिला महाविद्यालय बेनीपुर के शिक्षकों को अनुदान से वंचित होना पड़ रहा है. हालांकि इस तरह का मामला इकलौता नहीं है, बल्कि पूरे बिहार में इस तरह के कई कॉलेज हैं जो पद सृजन नहीं होने की वजह से अनुदान से वंचित हैं. ये वित्तरहित कर्मी सरकार एवं खासकर नये शिक्षा मंत्री से उम्मीद लगाये बैठे हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा. बता दें कि पिछले तीन दशक से वित्तर शिक्षा नीति के कारण बड़ी संख्या में कॉलेज एवं हाइस्कूल के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों को अर्थाभाव में अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पहले ही कार्यकाल में वित्तरहित शिक्षा नीति को समाप्त करने की घोषणा की. इस दिशा में कदम भी उठाये गये जिससे वित्त रहित शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों को कुछ लाभ भी मिला. पर सबसे जटिल बाधा पद सृजन को लेकर रही, जो आज तक अटका हुआ है. सरकार की ओर से वर्ष 1996 से ही पद सृजन पर रोक लगा रखी गयी है.इस वजह से अधिकांश कॉलेजों को अनुदान से वंचित होना पड़ रहा है. आश्चर्य की बात तो यह है कि इंटर में सभी विषयों में महज एक एक पद का ही सृजन है जबकि छात्रों की संख्या सर्वाधिक रहती है. कॉलेज प्रबंधन के द्वारा विषयवार एवं आवश्यकता के अनुरुप शिक्षकों की बहाली तो कर ली गयी पर सरकार उसे नहीं मान नहीं रही है. इस वजह से शिक्षकों में निराशा है. इस क्षेत्र के विधान पार्षद सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डा. मदन मोहन झा से भी उम्मीद जगी है कि वे वित्तरहित शिक्षकों की पीड़ा को शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी के माध्यम से कैबिनेट में रखकर इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने में सहयोग करेंगे.

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